संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, सोमवार 2 अक्टूबर को, अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर अपने सन्देश में तमाम देशों से एक अधिक शान्तिपूर्ण भविष्य की प्राप्ति की ख़ातिर, इनसानियत के इर्दगिर्द एकजुट होना का आग्रह किया है।
गांधी के सन्देश को आत्मसात करें : यूएन प्रमुख ने आज के दौर में मानवता के सामने दरपेश चुनौतियों को रेखांकित किया, जिनमें बढ़ती विषमताएं, बढ़े हुए तनाव, लगातार बढ़ते टकरा, और बदतर होता जलवायु संकट भी शामिल हैं।
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “हम इन कठिनाइयों पर पार पा सकते हैं और एक उज्जवल और अधिक शान्तिपूर्ण भविष्य की तरफ़ रास्ता बना सकते हैं... बशर्त कि हम ये समझें जैसा कि गांधी ने समझा – हमारे मानव परिवार की अदभुत विविधता एक ख़ज़ाना है, ना कि कोई ख़तरा”
उन्हें हर किसी से सामाजिक समरसता को मज़बूत करने और समायोजन करने का साहस जुटाने का आग्रह करते हुए, ये सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया कि हर एक व्यक्ति, चाहे उसकी पृष्ठभूमि, दर्जा या अस्था कुछ भी हों, वो एक गरिमामय, अवसरों और मानवाधिकारों से भरपूर जीवन का आनन्द ले सकें।
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “आइए, हम महात्मा गांधी के बुद्धिमत्तापूर्ण परामर्श को याद करें: विविधता में एकता को प्राप्ति करने की हमारी सामर्ध्य, हमारी सभ्यता की सुन्दरता और परीक्षण होंगे आइए, हम उनके इन शब्दों पर आज ध्यान दें और स्वयं को इस आवश्यक उद्देश्य के लिए फिर से समर्पित करें”
अन्तरराष्ट्रीय दिवस : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को एक प्रस्ताव – A/RES/61/271 पारित करके अहिंसा का सन्देश प्रसार करने के लिए ये दिवस मनाए जाने की प्रावधान किया था। तब से हर वर्ष 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के अन्तर्गत शान्ति में अहिंसा की अहमियत को रेखांकित किया जाता है।
यूएन महासभा के प्रस्ताव में “अहिंसा के सिद्धान्त की सार्वभौमिक प्रासंगिकता” और “शान्ति, सहिष्णुता, समझ और अहिंसा की संस्कृति क़ायम करने” की इच्छा की भी सम्पुष्टि की गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 140 देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था। (Credit: UN News Hindi)