संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी एजेंसियों ने शुक्रवार को चेतावनी जारी की है कि यदि मानवीय सहायताकर्मियों को ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुंचाने से रोका जाना जारी रहा तो देश में अकाल का जोखिम बढेगा।
The world must not ignore the increasingly dire humanitarian situation in Al Fasher, #Sudan.
"The news of reported casualties and human rights abuses are appalling."
Statement by the Humanitarian Coordinator, @CNkwetaSalami
सूडान में परस्पर विरोधी सैन्य बलों, सशस्त्र सेना व अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच हिंसक टकराव का यह दूसरा वर्ष है, जिसकी वजह से देश एक गम्भीर संकट से गुज़र रहा है।
19 वैश्विक मानवीय सहायता संगठनों के प्रमुखों ने अपने एक ऐलर्ट में आगाह किया है कि यदि मानवीय सहायता प्रदान करने के प्रयासों में और अवरोध खड़े किए जाते रहे, तो और अधिक संख्या में लोगों की मौत होगी।
मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता येन्स लार्क ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि सूडान के बड़े हिस्सों में अकाल का जोखिम है।
इन हालात में और अधिक संख्या में लोग पड़ोसी देशों का रुख़ करेंगे, बच्चे बीमारियों व कुपोषण का शिकार बनेंगे और महिलाओं व लड़कियों को पीड़ा व ख़तरों से जूझना पड़ेगा।
विशाल भूख संकट: सूडान में 1.8 करोड़ लोगों को पिछले कुछ समय से पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है और 36 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं।
यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने कहा कि इन बच्चों पर गम्भीर जोखइम है और भरपेट भोजन पाने वाले बच्चों की तुलना में उनकी मौत होने की आशंका 10 से 11 गुना अधिक है।
देश में बढ़ती ज़रूरतों के बावजूद मानवीय सहायताकर्मियों को राहत प्रदान करने के प्रयासों में व्यवस्थागत अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। युद्धरत पक्षों द्वारा उन्हें ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
ख़तरनाक हालात : OCHA प्रवक्ता ने कहा कि ख़ारतूम, दारफ़ूर, कोर्दोफ़ान समेत कुछ अन्य इलाक़ों में पिछले दिसम्बर से ही आवाजाही ठप है। इस वर्ष मार्च और अप्रैल महीने में साढ़े आठ लाख लोगों के लिए मानवीय सहायता को नकार दिया गया।
उनके अनुसार राहत वितरण के लिए हालात बेहद ख़राब व ख़तरनाक हैं। मानवीय सहायताकर्मियों की जान जा रही है, वे घायल हो रहे हैं, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, जबकि सहायता सामग्री की लूटपाट हो रही है।
इसके अलावा फ़रवरी महीने में चाड से पश्चिमी दारफ़ूर के लिए आद्रे सीमा चौकी के ज़रिये पहुंचाने जाने वाली मदद घटकर बहुत कम रह गई है।
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने बताया है कि टिने सीमा चौकी ज़रिये चाड से सूडान में राहत ट्रकों ने प्रवेश किया है, जिनके ज़रिये एक लाख से अधिक लोगों के लिए 1,200 मीट्रिक टन भोजन पहुंचाया गया है।
लड़ाई में फंसे आम नागरिक : यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने सचेत किया है कि नॉर्थ दारफ़ूर की राजधानी अल फ़शऱ में सूडान की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल के बीच लड़ाई जारी है और आठ लाख आम नागरिक एक बड़े हमले की आशंका का सामना कर रहे हैं।
इससे पहले गुरूवार को सूडान में यूएन की वरिष्ठ मानवीय सहायता अधिकारी क्लेमेनटाइन न्क्वेटा-सलामी ने कहा कि आम लोग चारों दिशाओं से हो रहे हमलों की चपेट में हैं। अल फ़शर में स्वास्थ्य केन्द्र विस्थापितों के लिए शिविर और बुनियादी ढांचा इस टकराव से बुरी तरह प्रभावित हुआ है और शहर में बिजली व जल आपूर्ति ठप है।
मानवीय सहायता संगठनों ने अपने साझा वक्तव्य में युद्धरत पक्षों से आम नागरिकों की रक्षा करने, मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराने और एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया है।
सूडान संकट में फंसे आम लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए धनराशि का अभाव है, जिसके मद्देनज़र, दानदाताओं से सूडान के लिए 15 अप्रैल को पेरिस में आयोजित सम्मेलन में व्यक्त किए गए संकल्पों को पूरा करने का आहवान किया गया है।
सूडान के लिए कुल 2.7 अरब डॉलर की अपील की गई थी, मगर फ़िलहाल इसकी 16 प्रतिशत धनराशि का ही प्रबन्ध हो पाया है।