संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा है कि वैश्विक भुखमरी संकट, हर एक मिनट में एक बच्चे को गम्भीर कुपोषण में धकेल रहा है जिससे उन बच्चों के अस्तित्व के लिये जोखिम बढ़ रहा है। यूएन बाल एजेंसी की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कुछ देशों के नेता, जी7 सम्मेलन के लिये तैयारियां कर रहे हैं।
यूनीसेफ़ ने कहा है कि संघर्ष प्रभावित 15 देशों में, 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 80 लाख बच्चों को अगर तत्काल पोषण समृद्ध भोजन व देखभाल उपलब्ध नहीं होते हैं, गम्भीर कुपोषण से उनकी मौत होने का ख़तरा है, और ये संख्या हर मिनट बढ़ रही है।
एजेंसी के अनुसार इस वर्ष की शुरुआत से ही, वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों ने अतिरिक्त 15 देशों में दो लाख, 60 हज़ार बच्चों को गम्भीर कुपोषण के दायरे में धकेल दिया है, ये संख्या हर एक मिनट में प्रति एक बच्चे के बराबर है। ये बच्चे संकट के सबसे गम्भीर असर का सामना कर रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में हॉर्न अफ़्रीका व मध्य साहेल भी शामिल हैं।
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल का कहना है, “खाद्य सहायता अहम है मगर हम भुखमरी की चपेट में आए बच्चों को केवल गेहूं के थैलों के ज़रिये नहीं बचाया जा सकता। हमें इन बच्चों तक अभी पहुंच बनानी होगी और उन्हें बहुत देर हो जाने से पहले ही, पोषण उपचार मुहैया कराना होगा”
यूक्रेन में युद्ध के कारण आसमान छूती खाद्य क़ीमतों, कुछ देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार सूखे के हालात, जहां अक्सर संघर्ष भी जारी है, और कोविड-19 के लगातार जारी आर्थिक प्रभावों ने, दुनिया भर में बच्चों से उनकी खाद्य व पोषण सुरक्षा छीन ली है। इसके परिणामस्वरूप 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गम्भीर कुपोषण, आपदा स्तरों पर पहुंच गया है।
1.2 अरब डॉलर की सहायता अपील: यूनीसेफ़ ने इस स्थिति का सामना करने के लिए, सर्वाधिक प्रभावित 15 देशों में अपने सहायता प्रयास तेज़ किए हैं जिसके लिए एक अरब 20 करोड़ डॉलर की सहायता अपील जारी की गई है। यूनीसेफ़ ने जी7 सम्मेलन की तैयारियों के बीच ही, जो सहायता अपील जारी की है जिसके माध्यम से मुख्य रूप से ये प्राथमिकताएं पूरी की जाएंगी।
15 सर्वाधिक प्रभावित देशों में पोषण सेवाओं का अति आवश्यक पैकेज उपलब्ध कराना जिससे लाखों बच्चों की मौत को टाला जा सकेगा। इस कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं के अजन्मे शिशुओं में और जच्चा-बच्चा व नवजात शिशुओं के पोषण पर ध्यान दिया जाना शामिल है। साथ ही, गम्भीर विकास अवरुद्धता के जोखिम वाले बच्चों में इसके लक्षण आरम्भिक अवस्था में ही पता लगाने और बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए तैयारशुदा पोषक खाद्य सामग्री की की ख़रीद भी शामिल होगी।
इन प्रयासों के तहत, बच्चों की बड़े पैमाने पर मौतों का विस्फोट रोकने के लिये, अफ़ग़ानिस्तान, बुर्कीना फ़ासो, चाड, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, हेती, केनया, मेडागास्कर, माली, निजेर, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, और यमन के लिये योजनाएं लागू की जा रही हैं। साथ ही, गम्भीर कुपोषण व विकास अवरुद्धता के दीर्घकालीन नुक़सानों को कम करने के भी तरीक़े अपनाए जा रहे हैं।
घातक स्वास्थ्य अवस्था : गम्भीर कुपोषण के शिकार बच्चों की शारीरिक प्रगति अवरुद्ध हो जाती है और वो अपनी ऊँचाई के अनुपात में बहुत पतले होते हैं। ये कुपोषण की सर्वाधिक नज़र आने वाली और घातक अवस्था है। इसके कारण 5 तक की उम्र के बच्चों में दुर्बल रोग प्रतिरोधी क्षमता के कारण मौत का जोखिम, स्वस्थ बच्चों की तुलना में 11 गुना बढ़ जाता है।
यूनीसेफ़ का अनुमान है कि 15 देशों में कम से कम 4 करोड़ बच्चे गम्भीर रूप से पोषण असुरक्षित हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें उतनी भी पोषण भोजन ख़ुराक नहीं मिल पा रही है जो उन्हें उनके बचपन के इस दौर में सम्पूर्ण विकास के लिए चाहिए। उनके अतिरिक्त, लगभग 2 करोड़ 10 लाख बच्चे गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें अपनी बुनियादी खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए भी पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं होता है, जिससे ये बच्चे गम्भीर विकास अवरुद्धता के जोखिम दायरे में रह जाते हैं।
इस बीच विकास अवरुद्धता की गम्भीर कुपोषण अवस्था के उपचार के लिए तैयारशुदा पोषक भोजन के दाम, हाल के सप्ताहों में 16 प्रतिशत बढ़े हैं, जिसके परिणामस्वरूप 6 लाख बच्चे जीवन रक्षक उपचार से वंचित रह गए हैं और उनके लिये मौत का जोखिम बढ़ गया है।
अहम मदद का अवसर : यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल का कहना है, “ये बयान करना बेहद कठिन है कि किसी बच्चे के लिए गम्भीर रूप से विकास अवरुद्धता का शिकार होने का क्या अर्थ है, मगर जब आप एक ऐसे बच्चे से मिलते हैं जो कुपोषण के सबसे घातक रूप का शिकार है, तो आप समझ जाते हैं – और इसे आप कभी नहीं भूलते”
उन्होंने कहा, “जर्मनी में जी7 सम्मेलन के लिए एकत्र हो रहे विश्व नेताओं के पास, इन बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा मुहैया कराने के लिए एक अच्छा अवसर मौजूद है। बिल्कुल भी समय नहीं गंवाया जा सकता। किसी अकाल की घोषणा की प्रतीक्षा करने का मतलब है – बच्चों की मौत होने की प्रतीक्षा करना” (Credit: UN News Hindi)