नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाए जाने से सरकार की आमदनी जरूर बढ़ी है, लेकिन साथ ही इन क्षेत्रों पर दबाव भी बढ़ा है। साथ ही इसमें रिलायंस जियो के कारण दूरसंचार क्षेत्र के दबाव में आने की बात भी कही गई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 'नीलामी परिणाम आवंटी के लिए अभिशाप हो सकता है', क्योंकि कंपनियां परिसंपत्तियों के लिए ऊंची से ऊंची बोली लगाती हैं। इससे इन सभी क्षेत्रों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि इससे पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार कम हुआ है।
सरकार ने सर्वेक्षण में कहा कि इससे यह सबक मिलता है कि नीति इस तरह बनाई जानी चाहिए, जिससे लागत कम से कम हो। साथ ही दंडात्मक रुख की बजाय प्रोत्साहन वाली नीति अपनाने का भी सुझाव दिया गया है। इसमें प्रतिबंधों, परिमाणात्मक प्रतिबंध, भंडार सीमा आदि से बचने की सलाह दी गई है। सर्वेक्षण में स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत के साथ प्राइस वॉर के कारण राजस्व में कमी और बढ़ते ऋण के कारण दूरसंचार क्षेत्र के दबाव में रहने की बात की गई है।
सर्वेक्षण के दूसरे हिस्से में कहा गया है, दूरसंचार क्षेत्र इस समय दबाव के दौर से गुजर रहा है। दबाव का कारण बढ़ता नुकसान, ऋण में वृद्धि, प्राइस वॉर, राजस्व में कमी और स्पेक्ट्रम की अतार्किक कीमत है। इसमें सितंबर 2016 को लांच रिलायंस जियो का नाम लिए बिना इसके बाजार में आने को भी दूरसंचार क्षेत्र पर दबाव का एक कारक बताया गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, एक नई कंपनी ने सस्ती डाटा सेवाओं के साथ बाजार को पूरी तरह बदल दिया है। पुरानी कंपनियों के राजस्व में कमी आई है। इसमें कहा गया है कि इस संकट से इन दूरसंचार कंपनियों के निवेशकों, ऋणदाताओं, साझेदार कंपनियों और वितरकों पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।