इससे पहले राजनीतिक दलों ने बिसात बिछानी शुरु कर दी हैं। भाजपा को पूर्ण बहुमत की उम्मीद है, लेकिन समाजवादी पार्टी दावा तो सरकार बनाने का कर रही है लेकिन यह भी कह रही है कि बहुमत नहीं आने पर धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट किया जाएगा ताकि भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।
सपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मकसद के लिए अपने प्रबल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बसपा अध्यक्ष मायावती से भी हाथ मिलाने में गुरेज नहीं करने का संकेत दिया है। यादव ने एक विदेशी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उत्तरप्रदेश में राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा। राष्ट्रपति शासन के जरिए भाजपा को उत्तर प्रदेश को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
उधर, भाजपा नेताओं को पूरा यकीन है कि नतीजे उनके पक्ष में आएंगे और सूबे में चल रहा भाजपा का वनवास खत्म होगा। भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक का दावा है कि भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी। उन्होंने सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा की लुभावनी पेशकशों को जनता ने ठुकरा दिया।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा की एक दिन पहले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह से दिल्ली में बातचीत हुई है। बातचीत का ब्योरा तो नहीं मिल सका, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों के बीच सरकार बनाने को लेकर ही बातचीत हुई होगी।
कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने एग्जिट पोल को नकार दिया और कहा कि बिहार की तरह भाजपा को यहां भी निराशा होगी। एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सपा प्रवक्ता और राजनीतिक पेंशन मंत्री राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि सपा और कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाएगी। बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरह एग्जिट पोल गलत साबित होंगे। (वार्ता)