यूपी चुनाव में विकास बेपटरी, कसाब और गधा हावी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता के प्रमुख दावेदार समाजवादी पार्टी, भाजपा और मायावती की बहुजन समाज पार्टी के जीत के दावे-प्रतिदावों के बीच अब विकास का मुद्दा पटरी से पूरी तरह उतर गया है। उल्लेखनीय है कि यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं। 8 मार्च को आखिरी चरण के चुनाव के बाद 11 मार्च को परिणाम घोषित होंगे। 
इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि पहले दो चरणों में नेताओं ने विकास की चर्चा की। स्थानीय लोगों के सड़क, बिजली, पानी, रोजगार की बातें की गईं, लेकिन, समय गुजरने के साथ ही नेताओं के तरकश से विकास के तीर ही खत्म हो गए और फिर व्यंग्य बाण छूटने लगे। हालांकि इस मामले में कोई भी दल पीछे नहीं है, लेकिन इसकी शुरुआत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जा सकता है। मोदी ने अपने एक भाषण में 'स्कैम' शब्द का उपयोग कर सपा, कांग्रेस और बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधा था। नरेन्द्र मोदी ने मेरठ रैली में कहा था- भाजपा उनकी पार्टी 'समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, अखिलेश यादव और मायावती' के खिलाफ है। तब मोदी ने SCAM का उल्लेख करते हुए S-समाजवादी पार्टी, C-कांग्रेस, A-अखिलेश यादव और M- मायावती को इससे जोड़ा था। 
 
हालांकि जल्द ही उनको इसका जवाब भी मिल गया। राहुल ने SCAM को कुछ इस तरह परिभाषित किया। एस से सर्विस, सी का मतलब करेज, ए से एबिलिटी और एम का मतलब मॉडेस्‍टी, जबकि अखिलेश यादव ने उन्‍नाव में SCAM का मतलब बताया, 'Save the country from Amit Shah and Modi अर्थात देश को अमित शाह और मोदी से बचाओ। इसके बाद मोदी ने अपने भाषणों में मायावती को निशाना बनाया, जिसमें उन्होंने बीएसपी को परिभाषित करते हुए उसे 'बहनजी की संपत्ति पार्टी' बताया। इस हमले से तिलमिलाई मायावती कहां चुप रहने वाली थीं, उन्होंने नरेन्द्र दमोदरदास मोदी यानी 'नेगेटिव दलित मैन' कह दिया।
विकास को पीछे छोड़ने वाली यह लड़ाई यहीं नहीं थमी। अखिलेश यादव ने नया जबानी तीर छोड़ दिया। उन्होंने अमिताभ बच्चन द्वारा गुजरात सरकार के एक विज्ञापन पर कटाक्ष करते हुए कहा, मेरा सदी के महानायक से आग्रह है कि वे 'गुजरात के गधों' का विज्ञापन नहीं करें। उल्लेखनीय है कि अमिताभ ने गुजरात का एक विज्ञापन किया है, जिसमें कुछ जंगली गधे दौड़ते दिख रहे हैं। वहीं मोदी ने एक सभा में समाजवादी परिवार यानी यादव परिवार पर निशाना साधते हुए कहा, यादव परिवार के पास 500 कारें हैं, जबकि मेरे पास एक भी नहीं है। उन्होंने मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक की 5 करोड़ की कार का उल्लेख करते हुए परोक्ष रूप से सपा पर निशाना साधा।
 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तो इन सबसे दो कदम आगे निकल गए। उन्होंने कांग्रेस, सपा और बसपा को परिभाषित करते हुए उसे 'कसाब' बता दिया। उन्होंने कांग्रेस (क), सपा (सा) बसपा (ब) को कुछ इस तरह जोड़ दिया। ऐसा भी नहीं है कि यह लड़ाई यहीं थम जाएगी, अब विरोधी पार्टियों की ओर से जवाब मिलना भी तय है। इसमें कोई संदेह नहीं कि चुनाव में व्यंग्य, कटाक्ष होते हैं, लेकिन इसकी भी एक सीमा होनी चाहिए। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं रहा है और विकास का मुद्दा राज्य में पीछे छूट गया है। अब आरोप-प्रत्यारोप, जाति, धर्म और जुमलेबाजी ही चुनाव प्रचार में हावी है। हालांकि यूपी का मतदाता मौन है, वह तो 11 मार्च को वोटिंग मशीन के माध्यम से ही मुखर होगा।

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