उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव डायरी : चुनाव आयोग की सख्ती का असर...

लखनऊ। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव का सियासी दंगल अपने शबाब पर जरूर है, लेकिन चुनाव आयोग की सख्ती का असर साफ देखा जा सकता है। यहां पर पिछले चुनाव जैसे पोस्टर, झंडे बैनरों का हुजूम कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है और सारा खेल डिजिटल मीडिया पर चल रहा है। अपनी बात मतदाता तक पहुंचाने के लिए उम्मीदवार सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं।  
विभिन्न राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग की नकेल साफ नजर आ रही है। लखनऊ एयरपोर्ट पर शाम को पहुंचने के बाद वहां से बाहर निकलते ही यह अहसास होने लगा था कि मीडिया में भले ही सभी पार्टियों की राजनैतिक सभाओं में चारों तरफ झंडे ही झंडे नजर आते हों लेकिन शहर में इक्का-दुक्का जगह ही प्रत्याशियों के पोस्टर, बैनर और झंडे नजर आ रहे थे...
 
लखनऊ में डिजिटल प्रचार पर प्रत्याशी सबसे ज्यादा ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर डिजिटल पर सबसे ज्यादा जोर है। विभिन्न पार्टियां सोशल मीडिया पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं और व्हाट्‍सएप पर छोटे छोटे वीडियो डालकर मतदाताओं को आकर्षित कर रही है। ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि चुनाव आयोग प्रत्याशियों के खर्चों पर पैनी नजर रखे हुए है। 
 
चुनाव आयोग की सख्ती का ही कारण है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस गठबंधन, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी खुलकर पोस्टरों और झंडों का उपयोग नहीं कर रहे हैं और सोशल मीडिया को हथियार बनाकर अपना प्रचार कर रहे हैं।

पहले चरण के मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खासे उत्साह में हैं और उन्होंने कहा कि हमने पहले दो चरण में 90 सीटों का लक्ष्य बनाया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भाजपा पहले चरण में 50 सीटें जीतने में कामयाब होंगी। 

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