कानपुर देहात। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 का चुनावी बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक दल जहां अपनी-अपनी जीत को पक्का करने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं, वहीं कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा को लेकर सभी दलों के साथ साथ भाजपा को बेहद चिंता सता रही है। इसी के चलते शुक्रवार की रात जहां कानपुर देहात की 4 विधानसभा सीटों में से 2 विधानसभा सीट की घोषणा भाजपा की तरफ से कर दी गई, वहीं भोगनीपुर सीट को लेकर अभी भी मंत्रणा जारी है और इसके पीछे की मुख्य वजह है कि भोगनीपुर विधानसभा की पिछले 3 विधानसभा चुनाव के नतीजे जो साफ करते हैं कि भोगनीपुर विधानसभा सीट पर 5 वर्ष से अधिक का कब्ज किसी भी दल नहीं रह पाया और इस विधानसभा सीट पर हर 5 साल में बदलाव देखने को मिला है।
हर 5 वर्ष में हो जाता है परिवर्तन : कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट के आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां 2007 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रघुनाथ संखवार ने यहां पर जीत हासिल की वहीं 2012 में समाजवादी पार्टी की साइकल की रफ्तार के आगे न तो हाथी चल पाया और न कमल टिक पाया। साइकल ने कुछ ऐसी रफ्तार पकड़ी कि 2012 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी योगेंद्र पाल सिंह को जीत नसीब हुई।यह सिलसिला 2017 में भी देखने को मिला और जिस सीट पर समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के हाथी को पछाड़ दिया था तो वहीं 2017 में भाजपा के कमल ने दोनों ही दलों को पछाड़ दिया और भोगनीपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी रहे विनोद कटियार कमल का फूल खिलाने में कामयाब रहे।
इसके बाद सभी दलों के अंदर भोगनीपुर विधानसभा सीट को लेकर यह बात साफ हो गई कि इस सीट पर 5 वर्ष से ज्यादा किसी भी दल का प्रत्याशी टिक नहीं पाता है। इसी के चलते 2022 में तगड़ी रणनीति के साथ जहां भाजपा दोबारा जीत दर्ज कराना चाहती है तो वहीं बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी जीत दर्ज कराने का पूरा प्रयास कर रही है।
सभी दल भर रहे जीत की दम : भोगनीपुर विधानसभा के सभी दलों के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की मानें तो सभी दलों के कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं और उनका कहना है कि इस बार उन्हीं के प्रत्याशी की जीत होगी। लेकिन वहीं 5 वर्ष में परिवर्तनशील इस विधानसभा को लेकर भाजपा, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भोगनीपुर विधानसभा को लेकर तगड़ी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरकर जीत हासिल करने के लिए कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं।