उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बाहुबली भी अपना परचम फहराने को आतुर हैं। वेस्ट यूपी के कुख्यात गैंगस्टर भूपेन्द्र बाफर ने आज मेरठ सिवालखास सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है। उन्होंने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नॉमिनेशन किया है। जरायम की दुनिया में बंदूक उठाने वाले बाफर अब अपनी छवि सुधारना चाहते हैं और अब वे जनता के बीच हाथ जोड़कर वोट मांग रहे हैं।
बाफर किसी राजनीतिक दल के मोहताज नहीं हैं, उन्होंने एक समय उत्तर प्रदेश 904 ब्लॉक में से निर्विरोध रहकर ब्लॉक प्रमुख पद का निर्दलीय चुनाव जीता। जिसके बाद माफिया और गैंगस्टर भूपेन्द्र बाफर चर्चाओं में आ गए। अपराध की दुनिया के डॉन अब विधायक बनने की तमन्ना दिल में सजोए है। उन्होंने भीम आर्मी प्रमुख व आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद की पार्टी ज्वाइन करके सिवालखास से चुनावी मैदान में कदम रखा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सुशील मूंछ और बाफर की शत्रुता सबने देखी थी। सुशील मूंछ की हत्या के लिए भूपेन्द्र बाफर ने अपने शार्प शूटर की फरारी तक कराई थी। बाफर पर लगभग डेढ़ दर्जन मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज हैं, जिनमें 302 के मामले भी हैं। कई दशकों से बाफर हार्डकोर क्रिमिनल है और उसने 2 जुलाई 2019 को अपने गैंग के साथ रोहित सांडू को उस समय फरार करवाया था, जब पुलिस उसे मुजफ्फरनगर पेशी से वापस लेकर लौट रही थी।
बाफर ने पुलिस टीम पर फायरिंग करते हुए कुख्यात शार्प शूटर रोहित को फरार करवाया। इस दौरान पुलिस फायरिंग में एक बदमाश घायल हुआ और पुलिस का एक दरोगा बदमाशों की गोली का शिकार हो गया। दरोगा की हत्या से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और कुछ दिन बाद पुलिस ने रोहित सांडू को एनकाउंटर में मार गिराया।
भूपेन्द्र बाफर रोहित सांडू केस फरारी का मास्टर माइंड रहा है, क्योंकि रोहित की फरारी के समय जिस बदमाश को गोली लगी थी, उसे बाफर अपनी कार में डालकर कंकरखेड़ा मेरठ क्षेत्र के एक अस्पताल में इलाज के लिए लाया था। अस्पताल में इलाज के लिए भूपेन्द्र बाफर लाया है, इसका खुलासा होने पर बाफर को जेल की सालाखों में भेजा गया।
रोहित सांडू की फरारी के समय भूपेन्द्र बाफर की सुरक्षा में दो पुलिस के सिपाही तैनात थे। बाफर की पुलिस सुरक्षा मेरठ के तत्कालीन एसएसपी और डीएम की तरफ से मुहैया कराई गई थी। जांच में सामने आया था कि पुलिस सुरक्षा में लगे दोनों सिपाही भी बाफर के मददगार थे। हालांकि बाद में दोनों सिपाहियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई थी।
भूपेंद्र बाफर ने शार्प शूटर रोहित सांडू को इसलिए फरार करवाया था क्योंकि वह सुशील मूंछ की पेशी के दौरान हत्या करवाना चाहता था। लेकिन सांडू की फरारी और दरोगा की हत्या के बाद पुलिस भूपेन्द्र बाफर के पीछे पड़ गई। मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस मामले में भूपेन्द्र बाफर की मेरठ स्थित करोड़ों की कोठी के जब्तीकरण की कार्रवाई की कोशिश की थी, पर उसे सफलता नहीं मिल पाई।
भूपेन्द्र ने नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि काम होता है तो काम करता है वरना वह आराम करता है। लेकिन अब आराम करने का समय खत्म हो गया है और हल्की मुस्कुराहट से बोला अब मैं उठ गया हूं। मैं जनता से गब्बर की तरह नहीं, हाथ जोड़कर वोट मांगूगा।
हालांकि बाफर की दो बेटियां और दामाद हैं, जो इंजीनियर हैं। बच्चों का अपराध से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। भूपेन्द्र बाफर ने चुनाव में अपना प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मनिंदर पाल सिंह को बताते हुए कहा है कि उस पर 32 मुकदमे दर्ज हैं, जबकि मेरे पर उससे आधे।