यूपी के मतदाताओं ने जाति- धर्म के नाम पर वोट नहीं दिया तो किन मुद्दों पर जीते योगी?

नवीन रांगियाल
अगर ये वोट जाति को दिया जाता तो योगी नहीं जीतते, अगर ये वोट धर्म के नाम पर दिया जाता तो भी योगी हार जाते। कहा जा रहा था कि यूपी में ब्राह्मण नाराज हैं, अगर ये नाराज ब्राह्मण वोट नहीं देते तो भी योगी को हार का सामना करना पड़ता।

अगर यूपी के मतदाताओं ने जाति- धर्म के नाम पर वोट नहीं दिया तो वो कौन से मुद्दे हैं, जिन्‍होंने यूपी में योगी को दूसरी बार जीत दिलाई है, और इस जीत के मायने क्‍या हैं।

महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रदेश
प्रदेश में आम लोगों की सुरक्षा के साथ ही खासतौर से महिला सुरक्षा के बड़ा मुद्दा रहा है। महिलाओं पर अत्‍याचार, हिंसा, उनके खिलाफ अपराध यूपी में शुरू से एक बड़ी समस्‍या रहा है। जब कानून व्‍यवस्‍था की बात होती है तो जाहिर है, उसमें महिलाओं की सुरक्षा पर भी चिंतन हुआ। योगी ने इसे मुद्दा बनाया और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित प्रदेश बनाना अपनी प्राथमिकता में रखा। यही कारण रहा कि मुस्‍लिम बहुत इलाकों से भी योगी के उम्‍मीदवारों को वोट मिले, इसमें महिलाओं का योगदान रहा। जबकि मुस्‍लिम महिलाएं पहले से मोदी सरकार के तीन तलाक कानून से खुश हैं। आप माने या न माने, मुस्‍लिम महिलाओं को अपने भीतर ये पता है कि किस सरकार में वे सशक्‍त और मुखर हो सकती हैं।

जाति धर्म विहीन चुनाव
अगर बेहद गौर से देखेंगे तो पता चलेगा कि इस चुनाव में जाति और धर्म का जोर नहीं चला। न ही भाजपा और योगी सरकार ने इन मुद्दों को हवा दी। जबकि दूसरी तरफ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर जाति के इर्दगिर्द राजनीति करते रहे हैं, वहीं भाजपा छोडकर सपा में शामिल हुए स्‍वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश ने मैदान में छोड़ा ही इसलिए कि वो जातियों का ध्रुवीकरण कर सके। लेकिन यह दाव नहीं चला। यूपी ने इस बार जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट दिए यह देशभर के लिए अच्‍छा संदेश है। जाति पर वोट पड़ते तो अखिलेश यादव की जीत होती।

राम मंदिर और आस्‍था
राम मंदिर एक ऐसा मुद्दा है, जिसने न सिर्फ यूपी को वैटेज दिलाया, बल्‍कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एक बड़ा मुद्दा बनकर मोदी सरकार को फायदा पहुंचाएगा। भगवान श्रीराम में आस्‍था रखने वाले हिंदू समुदाय को निश्‍चित तौर पर राम मंदिर के निर्माण ने सरकार के प्रति आश्‍वस्‍त किया है। अगर पूरा प्रदेश नहीं तो कम से कम हिंदू धर्म और संस्‍कृति की अगुवाई करने वाला वर्ग तो इससे प्रभावित हुआ ही है। कहा जा रहा था कि ब्राह्मण योगी सरकार से नाराज हैं, हालांकि ऐसा था नहीं, अगर ऐसा मान भी लिया जाए तो ब्राह्मणों ने राम को परशूराम को आगे ही रखा है।

सबका साथ, सबका विकास
भाजपा का सबका साथ, सबका विकास भले ही देश के दूसरे राज्‍यों में एक घिसी-पीटी पंक्‍ति हो गई हो, लेकिन यूपी जैसे राज्‍य में जहां रोजगार, शिक्षा और बराबरी पर आने की उम्‍मीद में जीवन जी रहे लाखों लोगों के लिए यह मंत्र ही रहा है। याद रखना होगा कि यूपी से आज भी लाखों लोग रोजगार के लिए महाराष्‍ट्र और अन्‍य राज्‍यों का रूख करते रहे हैं, जिसे योगी सरकार ने बेहद गंभीरता से जाना समझा है।

कानून- व्‍यवस्‍था
जहां तक कानून व्‍यवस्‍था का सवाल है, राज्य में कानून व्यवस्था ठीक करने में मुख्यमंत्री योगी ने जो किया वो सभी के सामने है। इसी लाइन के भीतर अपराध और बाहुबली नेताओं के लिए जाने जाना वाला यूपी बहुत हद तक इस छवि से बाहर आया है। जाहिर है, वहां रहने वाली जनता ने वहां अपराध को अपनी आंखों से देखा है और योगी काल में अपराध के इस ग्राफ को घटते हुए भी देखा। वहीं भाजपा के शासन काल में किसी तरह के दंगे नहीं हुए।

सवाल अब सिर्फ यही है कि योगी आदित्‍यनाथ अगले पांच सालों में अपनी नीतियों पर और कितना खरा उतरती है और उन पर भरोसा करने वालों की आस्‍था का वो कितना ख्‍याल रखते हैं।
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