उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी लड़ाई अब अवध और पूर्वांचल पर आकर टिक गई है। यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार कोई लहर जैसी तो नहीं दिख रही है पर स्थानीय मुद्दे चुनाव में खूब उभरकर सामने आ रहे हैं। बेरोजगारी, पलायन, महंगाई जैसे मुद्दे तो सामने आ ही रहे हैं लेकिन इन्हीं में से एक है छुट्टा जानवर की समस्या। उत्तर प्रदेश के बाकी के चार चरणों में छुट्टा जानवर गांव व शहरी लोगों के लिए एक बड़ा स्थानीय मुद्दा बना हुआ है। खासकर, खेती करने वाले किसान जो क्विंटलों तारों को खरीदने में ही लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। दिन-रात खेतों में रहकर भी छुट्टा जानवरों से अपनी फसल नहीं बचा पाते हैं। ये समस्या कुछ ही जगह तक सीमित नहीं हैं। पूरे पूर्वांचल के साथ-साथ अवध के जिलों में और बुदेलखंड में यूपी-एमपी बार्डर के लगभग सभी जिलों में छुट्टा जानवर एक बड़ी समस्या है।
आखिर छुट्टा जानवर कहां से आते है?- शहर के साथ-साथ गांवों में जब गाय दूध देना बंद कर देती है तब लोग उसको छोड़ देते है। इसके साथ-साथ आज जब खेती-किसानी का पूरा काम मशीनों से होने लगा है तो बछड़ों की उपयोगिता खत्म सी हो गई है और उनको छुट्टा छोड़ दिया जाता है यह जानवर छुट्टा जानवर के रूप में पहचाने जाते है। गौवंश को छोड़ने का यह चलन लगभग सभी गांवों में देखने को मिल रहा है। गौवंश के खानपान में खर्च अधिक होने पर बछड़ों को सुनसान सड़कों पर बड़ी तदाद में लगातार छोड़ा जा रहा है,यही बछड़े आवारा जानवरों में शामिल हो जाते हैं जो अपने पेट को भरने के लिए खेतों में लगी फसलों को चरने लगते हैं।
लोगों को पता ही नहीं चलता है कि ये छुट्टा जानवर हैं किसके,और न ही लोग अपने जानवरों की पहचान बताते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि उन्होंने तो अपने जानवरों से छुटकारा पा लिया पर वास्तव में ये किसानों के लिए बड़ी समस्या बन जाते है। जिसके लिए किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए क्विंटलों कटीले तार खरीदते हैं ताकि आवारा जानवरों से फसलों को बचाया जा सके, इसके साथ ही इनको खेतों से लेकर खलिहानों में भी दिन-रात ताकना पड़ता है, जब तक कि घरों में फसल का दाना न आ जाए।
छुट्टा जानवर बना चुनावी मुद्दा-उत्तर प्रदेश चुनाव में छुट्टा जानवर एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि इस बार चुनाव में छुट्टा जानवर की समस्या एक प्रमुख मुद्दा है और यह गेमचेंजर साबित हो सकता है। अवारा पशुओं की समस्या कितनी बड़ी है और इसका चुनाव पर कितना व्यापक असर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्नाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि खुले में घूम रहे पशुओं से जो परेशानी होती है उसे दूर करने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था बनाई जाएगी।
वहीं समाजवादी पार्टी आवारा पशुओं की समस्या को लेकर योगी सरकार पर हमलावर है। अखिलेश अपनी चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहे है। आवारा पशुओं और गौशालाओं की दयनीय स्थिति को लेकर सीएम योगी पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रदेश में गौशालाओं का निर्माण करवाया गया था। इन्हीं गौशालाओं में गायें भूखी मर रही हैं। बाबाजी बता रहे थे कि वो उत्तर प्रदेश को सुधार देंगे, किसानों की मदद करेंगे, वो तो अपने प्रिय जानवर का भी ध्यान नहीं रख पा रहे हैं।
वहीं आवारा पशुओं के मुद्दे को भुनाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी सभाओं कहते हैं कि आवारा पशुओं के कहर से किसान परेशान है। हर जगह के किसानों की फसल आवारा पशु रौंद देते हैं और किसान को कोई मुआवजा तक नहीं मिलता। कांग्रेस पार्टी इस पूरे अभियान के जरिए किसानों के हक की आवाज को मजबूत करेगी।
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि इस बार चुनाव में आवारा जानवरों की समस्या पूरे उत्तर प्रदेश में अन्य मुद्दों पर हावी नजर आ रही है। बात चाहें बुंदेलखंड में आने वाले जिलों की हो या पूर्वांचल के जिलों की आवारा जानवर की समस्या काफी बड़ी नजर आती है।
पूर्वीं उत्तर प्रदेश में किसानों की फसलों को छुट्टा जानवर इतने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते है जिससे की यह अब बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। आवारा पशु अवध में आने वाले जिले बहराइच, गोंडा, बलरामपुर के साथ-साथ पूर्वांचल में बनारस, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़ और बलिया में किसानों के साथ-साथ नेशनल हाईवे पर सफर करने वालों के लिए बड़ी समस्या है।
क्या कहते हैं पीड़ित किसान-बहराइच जिले की पयागपुर विधानसभा सीट के वोटर दलपत कहते हैं कि क्षेत्र के किसान पिछले दो तीन सालों से आवारा पशुओं की समस्या से बहुत परेशान है। दिन में तो फसल की रखवाली कर लेते है लेकिन रात में आवारा पशु झुंड में धावा बोलकर पूरी फसल को नष्ट कर जाते है। मजबूरी में किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए खेत को कंटीले तारों से घेरना पड़ता है। इन दिनों आवारा पशु खेत में खड़ी गन्ने और गेहूं की फसल को काफी बर्बाद कर दिया है।
वहीं किसान छांगुर कहते हैं कि आवारा पशुओं का बड़ा कारण गौशालाएं नहीं होना और जो गौशलाएं है वहां पर व्यवस्था नहीं होना। अगर किसान जानवरों को पकड़ कर गौशालाओं में पहुंचा देते है तो रात में गौशाला वाले उन जानवरों को छोड़ देते है
आवारा जानवरों पर योगी के खिलाफ गुस्सा क्यों?- उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए मुख्य समस्या बने आवारा पशु को लेकर आखिर किसानों का योगी सरकार के खिलाफ गुस्सा क्यों है यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है। दरअसल सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवंश की हत्या को लेकर कानूनों को कड़ा करते हुए 10 साल की सख्त सजा का प्रवाधान कर दिया है। इसके साथ योगी सरकार के आने के साथ गौवंश की तस्करी औऱ बूचड़खाने बंद करने के आदेश के साथ उनको चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई जिसके बाद छुट्टा जानवरों की समस्या काफी बढ़ गई।