नज़ीर फ़तहपुरी (पूने) के माहिये

* साया हैं न दीवारें = ज़ीस्त के जंगल में = हैं धूप की बौछारें

* मरहम न दवा लाया = कैसा मसीहा है = शम्शीर बकफ़ आया

* चाहत में है रुसवाई = सोच ले पहले तू = फिर चाह मेरे भाई

* क्या सुबहु का मंज़र है = ओस की ख़ुश्बू से = हर चीज़ मोअत्तर है

* साया ही कभी देगा = इसकी हिफ़ाज़त कर = ये पेड़ है रिश्तों का

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