तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन
तुम्हें खतरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें खतरे का अंदाज़ा है लेकिन
हमा...
मुँह तका ही करे है जिस तिस का
हैरती है ये आइना किस का
यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
सुख के सपने दिये हैं दौलत ने
नींद इसने मगर चुराली है- डॉ. स्वामी श्यामा नन्द सरस्वती रोशन
अभी तो...
हमारे दिल के सभी राज़ फ़ाश करते हैं
झुकी झुकी सी नज़र, होंट कपकपाये हुए - मुम्ताज़ मिर्ज़ा
वो बात सा...
कहिए न तंगज़र्फ़ से ए ज़ौक़ कभी राज़
कह कर उसे सुनना है हज़ारों से तो कहिए