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दाग़ के मुनफ़रिद अशआर

बुधवार, 21 मई 2008

क़तआत : एजाज़ अफ़ज़ल

मंगलवार, 20 मई 2008
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन तुम्हें खतरे का अंदाज़ा नहीं है हमें खतरे का अंदाज़ा है लेकिन हमा...

आइना--- मुनफ़रीद अशआर

गुरुवार, 15 मई 2008
मुँह तका ही करे है जिस तिस का हैरती है ये आइना किस का

मुनफरीद अशआर

गुरुवार, 1 मई 2008
यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
सुख के सपने दिये हैं दौलत ने नींद इसने मगर चुराली है- डॉ. स्वामी श्यामा नन्द सरस्वती रोशन अभी तो...
हमारे दिल के सभी राज़ फ़ाश करते हैं झुकी झुकी सी नज़र, होंट कपकपाये हुए - मुम्ताज़ मिर्ज़ा वो बात सा...

ज़ौक़ के मुनफ़रिद अशआर

गुरुवार, 17 अप्रैल 2008
कहिए न तंगज़र्फ़ से ए ज़ौक़ कभी राज़ कह कर उसे सुनना है हज़ारों से तो कहिए