नई शायरी : अजब हाल है

कमर बांधे हुए चलने को यों तैयार बैठे हैं,
बहुत आगे गए, बाक़ी जो हैं तैयार बैठे हैं
नसीबों का अजब कुछ हाल है इस दौर में यारों,
जहां पूछो यही कहते हैं, हम बेकार बैठे हैं।

- इब्‍ने इंशा

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