क्या है सारदा एक्ट और कैसे 12 से 14, 18 और फिर 21 हो गई भारत में लड़कियों की शादी की उम्र
गुरुवार, 16 दिसंबर 2021 (16:28 IST)
केंद्र सरकार भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से 21 साल करने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने उम्र बढ़ाने के एक बिल को मंजूरी भी दे दी है। इस बिल को संसद में पेश कर सकती है।
वर्तमान में शादी की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 और लड़कियों के लिए 18 साल है, अब दोनों की उम्र बराबर करने पर विमर्श चल रहा है। हो सकता है जल्दी ही इसे लेकर कोई फैसला हो सकता है।
बता दें कि न्यूनतम आयु का सिलसिला 12 साल से शुरू हुआ था और अब यह उम्र 21 साल तक पहुंचने वाला है।
पिछले साल 15 अगस्त के मौके पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जिक्र किया था और उम्र को बढ़ाने की बात कही थी।
इसके बाद जया जेटली की अध्यक्षता में 10 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया गया। फिर अक्टूबर 2020 में 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी करते हुए भी पीएम मोदी ने कहा था बेटियों की शादी की सही उम्र को लेकर विमर्श चल रहा है।
दरअसल, सरकार को देश भर से कई महिलाओं के पत्र मिले थे, जिसमें उनसे इस कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया और ये भी जानना चाहा कि सरकार कब इस मामले में फैसला लेने वाली है।
बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत लड़के और लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु को तय किया गया है। इसके बाद से इससे कम उम्र में शादी करना गैर-कानूनी माना गया है और सजा के साथ जुर्माने के भी प्रावधान है। वैसे भारत में सारदा एक्ट की वजह से इस कानून की नींव पड़ी और शिक्षाविद, न्यायाधीश, राजनेता और समाज सुधारक राय साहेब हरबिलास सारदा ने इसकी शुरुआत की थी।
इस वक्त लड़कियों के लिए शादी की उम्र 12 साल मानी जाती थी, लेकिन, 1927 में राय साहेब हरबिलास सारदा ने बाल विवाह रोकने का विधेयक पेश किया और इसमें लड़कों के लिए न्यूनतम उम्र 18 और लड़कियों के लिए 14 साल करने का प्रस्ताव रखा गया और साल 1929 में यह कानून बना। इस कानून को ही सारदा एक्ट कहा जाता है। इसके बाद इस कानून में कई संशोधन हुए।
आजादी के बाद साल 1978 में लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल कर दी गई। हालांकि, इस वक्त तक इस खास ध्यान नहीं दिया जाता था और ना ही ज्यादा सजा आदि का प्रावधान था। इसके बाद साल 2006 में इसकी जगह बाल विवाह रोकथाम कानून लाया गया।
इस क़ानून में बाल विवाह कराने वालों के विरुद्ध दंड का भी प्रावधान किया गया। इसके बाद से बाल विवाह करने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की गई। फिलहाल, मौजूदा कानून में दो साल जेल की सज़ा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। अब देखना है कि सरकार इस पर कब कानून बनाती है और इस कानून में क्या बदलाव किए जाते हैं।