शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने मंगलवार को बीए, बीएससी और बीकॉम प्रथम वर्ष में अनुत्तीर्ण छात्रों को इस शर्त पर दूसरे वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी कि यदि वे पुनर्मूल्यांकन में असफल होते हैं तो उन्हें प्रथम वर्ष में वापस भेज दिया जाएगा। एबीवीपी और वामपंथी एसएफआई ने आरोप लगाया था कि ऑनलाइन प्रणाली में गड़बड़ी के कारण उत्तीर्ण प्रतिशत कम रहा है।
एचपीयू के रजिस्ट्रार द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार ऐसे छात्रों को द्वितीय वर्ष की कक्षाओं में बैठने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब वे यह वचन देंगे कि वे पुनर्मूल्यांकन में विफल होने पर प्रथम वर्ष में लौटने के लिए सहमत हैं।
एचपीयू से संबद्ध कॉलेजों में प्रथम वर्ष में 3 पाठ्यक्रमों में कम उत्तीर्ण प्रतिशत के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन प्रणाली को जिम्मेदार ठहराते हुए कई छात्र संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन कर राज्य में एक विवाद खड़ा कर दिया है। विरोध के बाद एचपीयू के 'प्रो वाइस चांसलर' द्वारा मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया गया है।
समिति के अध्यक्ष एवं 'डीन ऑफ स्टडीज' कुलभूषण चंदेल ने कहा कि लगभग 300 पेपर की दोबारा जांच की गई और यह पाया गया कि सभी पेपर ठीक से जांचे गए और अंक दिए गए। समिति लगभग 5,000 पेपर की जांच करेगी (उन कॉलेजों से प्रत्येक विषय के 50 पेपर जहां पास प्रतिशत 10 से कम है और रिपोर्ट 10 दिनों में प्रस्तुत की जाएगी)।
एचपीयू के परीक्षा नियंत्रक जेएस नेगी ने कहा कि बीएससी प्रथम वर्ष का कुल परिणाम 31 प्रतिशत, बीए का 57 प्रतिशत और बीकॉम का 58 प्रतिशत रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित एबीवीपी और वामपंथी एसएफआई ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन प्रणाली में गड़बड़ी के कारण उत्तीर्ण प्रतिशत कम रहा है।(भाषा)