'आदिपुरुष' में रावण को मुस्लिम आक्रांता का लुक देने पर अयोध्या के साधु-संत नाराज, कलाकारों ने भी किया विरोध

संदीप श्रीवास्तव

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022 (19:15 IST)
अयोध्या। ओम राउत के निर्देशन में 400 करोड़ से अधिक बजट की निर्मित फिल्म 'आदिपुरुष', जो कि बताया जा रहा है कि यह 'रामायण' से प्रेरित होकर बनाई गई है, में रावण का किरदार अभिनेता सैफ अली खान ने किया है। इस फिल्म में रावण को मुस्लिम आकांताओं (मुस्लिम आक्रमणकारियों) के लुक में दिखाया गया है। बड़ी-बड़ी दाढ़ी है, साथ ही रावण के पुष्पक विमान को चमगादड़ के रूप में दिखाया गया।
 
इतना ही नहीं, 'आदिपुरुष' फिल्म में रावण के अन्य किरदारों को भी बेढंगे ढंग से दिखाया गया जबकि 'आदिपुरुष' फिल्म के पोस्टर की लॉन्चिंग श्रीराम की नगरी अयोध्या में ही फिल्म की पूरी टीम के साथ गत दिनों की गई थी। अयोध्यावासियों एवं साधु-संतों का पूरा समर्थन मिला था। किंतु फिल्म में रावण को जिस तरह से प्रदर्शित किया जा रहा है, उस पर इस फिल्म की काफी आलोचना हो रही है।
 
उत्तरप्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने 'आदिपुरुष' फिल्म को लेकर आपत्ति जताते कहा कि हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए। उन्होंने अयोध्या के साधु-संतों की राय मांगी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं को इस फिल्म में छेड़ा गया है।
तपस्वी छावनी के जगतगुरु स्वामी परमहंस ने इस फिल्म पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के साथ में लड़ने वाला राक्षसराज रावण भी चारों वेदों का ज्ञाता था। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने जब रावण का अंतिम समय आया तो उन्होंने लक्ष्मणजी से खुद कहा कि जाओ, महाज्ञानी रावण से उपदेश लो, तो लक्ष्मणजी उसके सिर की तरफ खड़े हो गए तब रावण कुछ नहीं बोला, तो श्रीराम ने लक्ष्मणजी से कहा कि ज्ञान चरण की तरफ आकर लिया जाता है।
 
इसके बाद रावण ने लक्ष्मणजी को ज्ञान दिया। चूंकि राक्षसराज रावण ने अपने उद्धार के लिए भगवान से बैर किया था, लेकिन जिस तरह से उसको प्रस्तुत किया जा रहा है, वह घोर आपत्तिजनक है। कहा कि जो मर्यादाएं हैं, उसको तोड़ा न जाए। रावण को जिस तरह से शास्त्रों में वर्णित किया गया है, उसी तरह से दिखाया जाए। अगर किसी मुगल व जिहादी के रूप में दिखाया जा रहा है तो इसको कदापि बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
अयोध्या के आचार्य मंदिर के पीठाधीश्वर महाराज विवेक आचार्य ने फिल्म का विरोध करते हुए कहा कि 'आदिपुरुष' का पोस्टर अयोध्या में ही रिलीज किया गया है और विषय भी ठीक लिया किंतु इस फिल्म में रावण को जिस तरह से प्रस्तुत किया गया है, हनुमान को जिस तरह से प्रस्तुत किया गया है, रावण के सिर पर मुकुट नहीं है तो उनको फिल्म बनाने से पहले यह जानना चाहिए कि रावण, राक्षस के साथ एक प्रकांड विद्वान था। एक ब्राह्मण का स्वयं भगवान ने जब वध किया तो राम ने स्वयं लक्ष्मणजी से कहा कि जाकर के उससे ज्ञान प्राप्त करो। स्वयं नारायण ने कहा कि इस बात को और रावण का वध करने के साथ-साथ भगवान उद्धार करने आए थे।
 
कहा कि एक राजा भानुप्रताप हुआ करते थे जिन्होंने भगवान से ये वचन लिया था कि 3 जन्म मैं लूंगा और तीनों जन्म में मेरा उद्धार आपको करना होगा, जो कि रावण, कंस और हिरण्यकश्यप के रूप में इस पृथ्वी पर मृत्युलोक में आए और भगवान को उन्हें मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतार लेना पड़ा और ये फिल्म वालों ने मजाक बना रखा है।
 
हिन्दू धर्म व हिन्दुओं की आस्था को जब जो चाहा, जैसे चाहा, वैसा पेश कर दिया। कहा कि इस फिल्म में पुष्पक विमान को भी चमगादड़ के रूप में दिखाया गया है जिसकी उन्हें जानकारी ही नहीं है। वह पुष्पक विमान किसका था, इस फिल्म में बहुत-कुछ गलत दिखाया गया है। इनके ऊपर केस होना चाहिए और हिन्दू समाज को भी इनका पूरा विरोध करना चाहिए। इनको सबक सिखाने का काम करना चाहिए। जो इन लोगों ने बना लिया है कि हिन्दू धर्म को जैसे चाहो, वैसे पेश करो। अगर हिम्मत है तो इस्लाम के बारे में करके दिखाए ना।
 
महाराष्ट्र से अयोध्या आए पराग बाबा रामदास ने कहा कि रावण ऋषि पुत्र व ब्राह्मण होने के साथ ही ज्ञानी शिवभक्त भी था और उसको यह मालूम था कि श्रीराम एक महापुरुष हैं। एक भगवान के हाथों मारे जाना यानी मोक्ष प्राप्त करना है। रावण सात्विक था किंतु उसने श्रीराम के हाथों मोक्ष प्राप्त करने के लिए सीताजी का हरण किया था।
 
उन्होंने कहा कि रामायण पढ़ते समय जिस प्रकार से हम रामजी का सम्मान करते हैं, उतना भगवान राम ने रामेश्वरम में रावण का सम्मान करने के लिए रावण के ही हाथों से रामेश्वरम की स्थापना की थी, क्योंकि वह एक ज्ञानी ब्राह्मण था। तब उसे मुस्लिम या आतंकी के रूप में दिखाना गलत है व पूरे हिन्दू समाज का अपमान है। हिन्दू समाज विरोध करता रहेगा। जो आतंकी हैं, उनका अलग धर्म है लेकिन रावण ने अपनी तप-तपस्या के बल पर कई वरदान प्राप्त किए थे। वह शिवभक्त था और उनसे भी वरदान प्राप्त किया था तथा उसे इस रूप में दिखाना गलत है।
शिवसेना के प्रदेश महासचिव अनिरुद्धदेव त्रिपाठी (शिवसेना, शिंदे गुट) ने कहा कि फिल्म 'आदिपुरुष' में रावण सहित सभी किरदारों को गलत ढंग से प्रस्तुत करना हिन्दू समाज का अपमान है। ज्ञानी ब्राह्मण रावण को मुगल शासक के रूप में दिखाया जाना बहुत ही गलत है।
 
उन्होंने कहा कि क्यों हमेशा हमारे हिन्दू धर्म को ही निशाना बनाया जाता है? मैं केंद्र व राज्य की सरकार से मांग करता हूं कि ऐसी फिल्म को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना चाहिए और यह हिन्दू धर्म में कदापि बर्दाश्त नहीं है। अगर नहीं रोक लगती है तो हम लोग इसका पुरजोर विरोध करते हैं। आगे कहा कि हमेशा हिन्दुओं को ही निशाना बनाया जाता है व हमारी संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जाता है।
 
अयोध्या से सीधे प्रसारण के रूप में भारत सहित विदेशों में देखी जा रही विश्व की सबसे बड़ी रामलीला में श्रीराम व राक्षसराज रावण का अभिनय कर रहे कलाकारों ने भी फिल्म 'आदिपुरुष' में रामायण के किरदारों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने एवं रावण को मुस्लिम शासक के गेटअप में दिखाने का विरोध किया।
रामलीला में श्रीराम का किरदार कर रहे अभिनेता राहुल बुच्चर ने कहा कि मर्यादा व धर्म साथ हो एवं रामायण जिसको हम अपना इतिहास कहते हैं, उसके हिसाब से हो और जो भी हमारे ग्रंथों, वेदों, शास्त्रों व पुराणों में लिखा गया है, साथ ही वाल्मीकिजी ने जो लिखा है, उसको ही हम उजागर करें और अगर इसके विपरीत है तो मुझे नहीं लगता है कि उन्होंने रामचरित मानस का अध्ययन किया होगा।
 
रामलीला में रावण का किरदार कर रहे सुप्रसिद्ध सिने कलाकार शाहबाज खान ने भी फिल्म 'आदिपुरुष' में रावण को मुस्लिम गेटअप के रूप में प्रदर्शित करने को गलत बताते हुए कहा कि फिल्म के डायरेक्टर की क्या सोच है, यह तो कुछ पता नहीं लेकिन हो सकता है कि उसने रामायण पर बेस करके कुछ और स्टोरी बनाई हो। ऐसा भी हो सकता है कि जो कैरेक्टर है, वो रावण न हो तथा और कोई हो। जब तक हम पिक्चर नहीं देखेंगे, कुछ नहीं बोल सकेंगे किंतु अगर रामायण के विपरीत कुछ है तो गलत है और अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि रावण के अंदर भी खूबियां ही खूबियां थीं। वह बहुत बड़ा ज्ञानी, शिवभक्त व वीर था। लेकिन अहंकार और क्रोध उसको ले डूबा। यही चीजें इंसान को अपनी जिंदगी में एवॉइड करनी चाहिए और रामायण के सारे पात्र दुनिया को कोई-न-कोई संदेश देते ही हैं। भगवान राम ने जो रास्ता बताया है, जीवन जीने का, उसी प्रकार जीना चाहिए।
 
रामलीला में हनुमान की भूमिका में बिंदु दारा सिंह ने कहा कि यह रामायण के विपरीत है। अगर इस फिल्म में  ऐसा है तो वह पूर्ण रूप से गलत है और ऐसा नहीं करना चाहिए।

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