बदायूं। आंगनबाड़ी सहायिका के साथ गैंगरेप और हत्या मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी उघैती गांव में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं। महिला आयोग की ये सदस्य एक महिला के साथ हुई दरिंदगी के चलते पीड़ित परिवार के घावों पर मरहम लगाने आई थीं, लेकिन वहीं उनके एक बयान ने महिलाओं के उन्मुक्त वातावरण पर विचरण करने पर विराम लगाने की ओर संकेत कर रहा है। हालांकि आयोग की सदस्य ने कहा है कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है।
गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी पीड़ित परिवार और पुलिस से मिलीं। मामले की जानकारी करने के बाद वह मीडिया से मुखातिब होते हुए बोली कि किसी भी महिला को संध्या के समय अकेले इस तरह से नही जाना चाहिए। यदि उसके साथ कोई बच्चा भी गया होता तो इस तरह की घटना शायद न होती।
महिला आयोग की सदस्य के इस बयान को लेकर समाज में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं, लोगों का कहना है कि 21वीं सदीं में भी महिला घर से अकेले नही जा सकती, उसे अपनी सुरक्षा के लिए घर के सदस्य को कवच की तरह लेकर निकलना चाहिए।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठायें है, उनका कहना है कि यदि समय रहते पुलिस कदम उठाती तो शायद महिला की जान बच सकती थी, जिस समय मृतका को उसके घर फर फेंका गया था, तब उसकी सांसे चल रही थीं।
चंद्रमुखी ने कहा कि महिला अपराध के प्रति सरकार सख्त है। उत्तर प्रदेश सरकार मिशन शक्ति चला रही है, लेकिन आंगनबाड़ी सहायिका के साथ हुआ इस तरह कृत्य दुर्भाग्य पूर्ण है, जिसे देखकर यही कहा जा सकता है कि अपराधिक मानसिकता वाले लोगों में पुलिस का खौफ नहीं रह गया है।