कानपुर देहात। जहां देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री बेटियों को आगे बढ़ाने की बात समय-समय पर मंच के माध्यम से कहते रहते हैं तो वहीं कानपुर देहात में आर्थिक तंगी से जूझ रही जिले में टॉप करने वाली एक बेटी फीस के पैसे न होने की वजह से दाखिला नहीं ले सकी।
अपना दर्द बयां करते हुए कानपुर देहात की बेटी आंखों में आंसू लिए सेजल चौरसिया बोली कि मैं पढ़ाई करना चाहती हूं, देश के लिए कुछ करना चाहती हूं, लेकिन इतने पैसे नहीं है कि आगे दाखिला ले सकूं।
जिले की टॉपर है छात्रा: कानपुर देहात के माती मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर दूर अरमापुर कॉलोनी बनी हुई है। यहां पर उमेश चौरसिया अपने परिवार के साथ रहते हैं। आर्थिक तंगी झेल रहे चौरसिया बताते हैं कि उनकी बेटी सेजल चौरसिया बचपन से ही पढ़ने में होशियार है। 10वीं और 12वीं में उसने न सिर्फ अपने विद्यालय में टॉप किया है बल्कि जिले में भी अव्वल रही है।
उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उसने सीयूईटी की परीक्षा दी थी जिसमें भी वह पास हो गई और उसे देहली यूनिवर्सिटी (डीयू) में दाखिला लेना था। लेकिन एडमिशन फीस की व्यवस्था करने में मैं असफल हो गया और बेटी को दाखिला नहीं दिला पाया हूं जिसके बाद मेरा पूरा परिवार टूट-सा गया है।
नहीं कर सके व्यवस्था : चौरसिया व उनकी पत्नी संगीता ने बताया कि दाखिले के लिए 30 हजार विद्यालय में जमा होने थे जिसकी व्यवस्था करने के लिए तमाम कोशिशें कीं लेकिन इसका इंतजाम नहीं हो पाया है। पूरे परिवार ने बताया कि वह सभी बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी के चलते अब वे बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी परिवार की मासिक आय महज 8,000 ही है जिसकी वजह से बमुश्किल जीवन कट रहा है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आज तक एक मकान भी नहीं ले पाए हैं और किराए के जर्जर कॉलोनी में रह रहे हैं। बेटी की पढ़ाई में आर्थिक तंगी रुकावट बन रही है जिसको लेकर वे सभी बेहद दुखी हैं।
सेजल चौरसिया को सम्मान मिला पर आर्थिक मदद नहीं मिली : कानपुर देहात में जिले में टॉप करने वाली सेजल चौरसिया ने बताया कि उसका सपना दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने का था। एडमिशन को लेकर होने वाली एन्ट्रेंस एग्जाम को भी उसने पास कर लिया था लेकिन उसे यह नहीं पता था कि एन्ट्रेंस एग्जाम के बाद एकसाथ उसे 30 हजार की एडमिशन फीस जमा करनी थी।
सेजल ने बताया कि जब उसने अपने पिता को यह बात बताई तो उन्होंने रिश्तेदारों व फैक्टरी मालिक से भी बात की, पर कहीं से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली जिसके चलते वह एडमिशन फीस जमा नहीं कर सकी। उसने बताया कि जब उसने जिले में टॉप किया था तो उसे मुख्यमंत्री द्वारा लखनऊ में सम्मानित भी किया गया था। इस दौरान प्रमाण पत्र और मेडल उसे मिले थे लेकिन किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं मिली।
छात्रा ने सरकार से लगाई गुहार : जिले में टॉप करने वाली छात्रा ने कहा कि वह जिला प्रशासन व उत्तरप्रदेश सरकार से सिर्फ यही कहना चाहती है कि वह पढ़ना चाहती है लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसकी पढ़ाई पर संकट है। हो सके तो सरकार उसकी मदद करे ताकि वह अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा सके।