Sambhal Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के संभल स्थित लक्ष्मणगंज इलाके में प्राचीन बावड़ी कुएं के रहस्य से धीरे-धीरे पर्दा उठना शुरू हो गया है। यहां पिछले 6 दिनों से खुदाई का काम चल रहा है और ASI की टीम भी सर्वे कर चुकी है। एएसआई की टीम को खुदाई के बाद बावड़ी के अंदर सुरंग जैसे गलियारे और अमरों जैसी आकृति दिखाई दी। खुदाई के 5 दिन बाद लाल पत्थर और ऊपरी मंजिल नजर आई थी। जिसके बाद लगता है कि अब यहां छुपे रहस्य पर से जल्द पर्दा उठ जाएगा।
वहीं बावड़ी की खुदाई और सफाई करते हुए ASI की टीम ने बावड़ी की सुरंग में कार्बन डेटिंग कार्य प्रारंभ करते हुए उसकी वीडियोग्राफी शुरू कर दी है। पुलिस-प्रशासन की टीम पूरे संभल में तालाबों और कुओं के जीर्णोंद्धार के लिए निरीक्षण कर रही है। प्राचीन इमारतों के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग का सर्वे भी चल रहा है। सरथल चौकी स्थित बावड़ी कुएं की खुदाई की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों का वहां पहुंचना शुरू हो गया।
लक्ष्मणगंज में स्थित प्राचीन बावड़ी का प्राचीन इतिहास भी यहां के लोग बताते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि राज परिवार अपने और सैनिकों के लिए इस कुएं का इस्तेमाल करता था। प्राचीन समय में यह जगह बिलारी की सहसपुर स्टेट की मिलकियत थी। इस संपत्ति पर काबिज स्टेट परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया था कि राजशाही के दौर में इसका इस्तेमाल सैनिकों के लिए किया जाता था।
बावड़ी की खुदाई के पहले दिन नगर निगम के 40 कर्मचारियों ने खुदाई की तो तस्वीरें साफ नजर आने लगी थीं, खुदाई के दौरान दीवारें दिखीं तो सभी लोग उत्साहित हो गए और खुदाई के काम में तेजी आ गई। दूसरे दिन की बावड़ी की खुदाई में कमरे के गेट और उसके पीछे सुरंग नुमा गलियारा दिखाई दिया, तीसरे दिन बावड़ी में सीढ़ियों के संकेत मिलने से यह तय हो गया कि यहां कोई गहरा राज छुपा हुआ है।
संभल के डीएम राजेन्द्र पैंसिया प्राचीन मंदिरों, तालाबों और कुएं की जीर्णोंद्धार में लगे हैं। संभल के 19 कूपों को वह टीम के साथ निरीक्षण करते हुए अवैध कब्जों को भी हटाने के आदेश दे रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की नीति के तहत संभल को पर्यटन क्षेत्र में विकसित करना है, यह धर्मिक नगरी/ तीर्थ के रूप में विकसित हो सकता है, वह दिन दूर नहीं है जब यह कहा जाए कि पर्यटन के लिए एक दिन गुजारो संभल में।