प्रयागराज। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी एवं अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा की मांग से जुड़े मुकदमे की पोषणीयता को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार को हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि दीन मोहम्मद का मामला यहां लागू नहीं होगा, क्योंकि उस मामले में हिन्दू समुदाय से किसी को पक्षकार नहीं बनाया गया था।
अधिवक्ता ने दलील दी कि वर्ष 1937 में दीन मोहम्मद नाम के एक व्यक्ति ने यह घोषणा करने की मांग करते हुए वाद दायर किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से जुड़े वाद में उल्लिखित संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित की जाए। उस वाद में भी वादी के गवाहों ने स्वीकार किया था कि उस स्थान पर हिन्दुओं द्वारा पूजा की जा रही है।
दीन मोहम्मद मामला, विवादित स्थल पर 3 गुंबदों को वक्फ की संपत्ति घोषित करने के लिए दायर किया गया था। तय तिथि के मुताबिक मंगलवार को इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। हालांकि कुछ देर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में अगली सुनवाई 14 दिसंबर को करने का निर्देश दिया।
उल्लेखनीय है कि 5 हिन्दू महिलाओं ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की अनुमति मांगते हुए वाराणसी की अदालत में वाद दायर किया है जिसकी पोषणीयता पर अंजुमन इंतेजामिया की आपत्ति निचली अदालत ने खारिज कर दी। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई।
अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि इन 5 हिन्दू महिलाओं का वाद, पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ कानून और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम से बाधित नहीं होता।(भाषा)