हर साल जन्माष्टमी के मौके पर ही भगवान श्री कृष्ण के साथ भगवान के बड़े भाई बलराम, देवी राधा जी की मूतियों को बाहर लाया जाता है। पुलिस कर्मी मूर्तियों को स्नान करावाते हैं और नए कपड़े पहनाते हैं। उसके बाद विधि - विधान से पूजा पाठ करते हैं और फिर ग्रामीणों के साथ मिलकर पुलिस कर्मी बड़ी धूमधाम से जन्माष्टमी मनाते हैं।
कानूनी दांवपेच में क्यों फंसी भगवान की रिहाई : पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शिवली कस्बे में प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर है। 12 मार्च 2002 को देर रात भगवान श्री कृष्ण, देवी राधा और बलराम की अष्टधातु की चार बड़ी मूर्तियां चोरी हुई थीं।
मूर्तियां चोरी होने के बाद मंदिर के संरक्षक ने शिवली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने 1 सप्ताह में ही चोरों को गिरफ्तार कर मूर्तियों को बरामद कर लिया था। कानूनी प्रक्रिया के चलते भगवान श्री कृष्ण, देवी राधा और बलराम की अष्टधातु की मूर्तियों को थाना शिवली के मालखाने में सुरक्षित रखना पड़ा। कानूनी प्रक्रिया के चलते 20 साल बीत गए लेकिन भगवान श्री कृष्ण को मालखाने से रिहाई नहीं मिल सकी।
क्या बोले थाना प्रभारी : शिवली कोतवाल विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया के चलते मंदिर में मूर्तियों को स्थापित नहीं किया जा सकी है। लेकिन ग्रामीणों व पुलिस कर्मियों द्वारा प्रतिवर्ष जन्माष्टमी पर मूर्तियों को मालखाने से निकलवा कर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव विधि विधान के साथ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।