क्या UP में BJP से ब्राह्मणों की नाराजगी दूर कर पाएंगे जितिन प्रसाद?

बुधवार, 9 जून 2021 (19:16 IST)
नई दिल्ली। भाजपा ने उत्तरप्रदेश में राजनीतिक बिसात में अपने खिसकते ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूती से थामने के उद्देश्य से आज कांग्रेस में हाशिए पर आए एक प्रभावशाली ब्राह्मण नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भगवा ब्रिगेड में शामिल कर लिया।
 
तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़े प्रसाद ने बुधवार को यहां गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद पार्टी कार्यालय में मोदी मंत्रिमंडल के हाई प्रोफाइल मंत्री पीयूष गोयल के हाथों सदस्यता पर्ची और गुलदस्ता ग्रहण करके भाजपा परिवार में पदार्पण किया। बाद में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात की।
 
भाजपा के मंच से अपने प्रथम वक्तव्य में प्रसाद ने कहा कि उन्होंने बहुत सोच-विचार कर कांग्रेस के साथ तीन पीढ़ी का संबंध छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि  मैंने देशभर में भ्रमण करके और लोगों से बात करके महसूस किया है कि देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है, संस्थागत दल है तो केवल भाजपा ही है, बाकी दल व्यक्ति आधारित या क्षेत्रीय दल हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक पटल पर ए दशक भारत के भविष्य के लिए निर्णायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए भारत के निर्माण के लिए दिन-रात जुटे हैं। मुझे भी छोटा सा योगदान करने का मौका मिलेगा।
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहकर महसूस हो रहा था कि इस दल में रह कर जनता के हितों की रक्षा नहीं कर सकते। यदि आप जनता के हितों की रक्षा नहीं कर सकते तो राजनीति में रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। अब वह भाजपा के सशक्त माध्यम से जनसेवा करेंगे।
 
प्रसाद ने उन्हें भाजपा में शामिल करने के लिए मोदी, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि आपके स्नेह, अपनेपन से अभिभूत हूं। भाविष्य में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, आपने एवं भाजपा परिवार ने जो विश्वास मुझ पर व्यक्त किया है उस पर पूर्ण रूप से खरा उतरने का प्रयास करूंगा।
 
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के प्रति किसी प्रकार की कटुता या आलोचना के शब्दों से परहेज किया तथा करीब 20 साल के उनके राजनीतिक कार्यकाल में उन्हें सहयोग देने वाले कांग्रेस के नेताओं के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
 
प्रसाद को कांग्रेस आलाकमान और राहुल-प्रियंका का बेहद करीबी माना जाता रहा लेकिन हाल में कुछ समय से उनकी गांधी परिवार से दूरियां बन गयीं थीं। मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के समय भी उनका नाम काफी उछला था।
 
गोयल ने भी अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि प्रसाद ने छोटी आयु में पिता के निधन के आघात के बाद से ही पूरी गंभीरता एवं परिपक्वता से उत्तर प्रदेश की जनसेवा की और दो बार अच्छे मतों से लोकसभा का चुनाव भी जीते। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनके पिता पंडित जितेन्द्र प्रसाद ने बिना पद के सेवा का अनूठा उदाहरण पेश किया था।
 
उनकी राजनीतिक यात्रा नज़र डालें तो दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और फिर एमबीए की पढ़ाई करने वाले प्रसाद अपने पिता के निधन के बाद राजनीति में आए। उन्हें सबसे पहले 2001 में भारतीय युवक कांग्रेस में सचिव बनाया गया था। जिसके बाद वह आगामी लोकसभा चुनाव 2004 में अपने गृह जनपद शाहजहांपुर से पहली बार सांसद चुने गए। अपनी बेदाग छवि और उत्तरप्रदेश की राजनीति में दबदबे के फलस्वरूप 2008 में उन्हें डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया। वे 2009 के आम चुनाव में वह धौरहरा सीट से चुनाव लड़े और एक बार लोकसभा सांसद चुने गए। इनाम के तौर पर कांग्रेस ने उनको एक बार फिर केंद्र में मंत्री पद से नवाजा और वे 2009 से 2011 तक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे। उन्हें 2011-12 में उनको पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई तथा 2012-14 में वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री भी रहे।
 
भाजपा को प्रसाद से उम्मीद है कि उनके माध्यम से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार से रूठे हुए ब्राह्मण वोट बैंक को साधा जा सकेगा। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर मंडल में ब्राह्मण समुदाय में योगी सरकार की कार्यप्रणाली खासतौर सरकार में एक जाति विशेष के अनुपात से अधिक वर्चस्व को लेकर रोष है।
उत्तरप्रदेश के मतदाताओं में ब्राह्मणों का अनुपात करीब 15 प्रतिशत है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अगड़ी जातियों खास कर ब्राह्मण वोट बैंक एक पार्टी के साथ लंबे समय तक आंख मूंद कर टिक कर नहीं रहता है। कभी कांग्रेस के साथ रहा यह वर्ग 2007 में बसपा के साथ था जबकि 2012 में बसपा का साथ छोड़ देने पर परिणाम बसपा की पराजय के रूप में सामने आया। वर्ष 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव एवं 2017 के विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया लेकिन 2022 के विधानसभा के पहले इस वर्ग में भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर नाराज़गी पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बन गया है।
 
पश्चिम बंगाल में हाईप्रोफाइल एवं ऊंचे दावों वाले चुनावी अभियान के परिणाम को देखते हुए भाजपा ने उत्तर प्रदेश के चुनावों में अधिक सावधानी से उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष पदाधिकारियों भाजपा के संगठन महामंत्री, प्रदेश प्रभारी के उत्तर प्रदेश में दौरे शुरू हो गए हैं। राज्य में ब्राह्मण वोट बैंक के साथ पिछड़े वर्ग के छिटकते वोटों को संभालने के लिए अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी भाजपा में लाए जाने की अटकलें हैं। पटेल को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी मंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। (वार्ता)

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