Madhumita murder case : उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में कारागार विभाग द्वारा रिहाई का आदेश जारी कर दिया गया है। मधुमिता की बहन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वे आज रिहा हो सकते हैं।
उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया। विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया।
अमरमणि की उम्र 66 वर्ष और मधुमणि 61 वर्ष की हैं। इस समय अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हैं।
गोरखपुर के जिला जेलर एके कुशवाहा ने कहा कि अगर औपचारिकताएं पूरी हो गईं तो उन्हें शुक्रवार को रिहा किया जा सकता है।
हालांकि, इस कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी 8 सप्ताह में जवाब मांगा है।
क्या है मामला : कवयित्री मधुमिता की नौ मई 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, घटना के वक्त वह गर्भवती थीं। अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिनके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे। इस मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई थी।
देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था।
कौन हैं अमरमणि त्रिपाठी : अमरमणि त्रिपाठी का नाम उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में लिया जाता है। महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी 2001 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वह समाजवादी पार्टी में थे और फिर वह बसपा में चले गए।