कानपुर। आज हम आपको ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं जिसको सुनकर आप खुद हैरान रह जाएंगे। क्या आपको पता है कि मुर्गे के पंख से भी प्लास्टिक बन सकता है। ज्यादातर लोगों का जवाब होगा नहीं। लेकिन आईआईटी, कानपुर के स्टार्टअप 'नोवा' अर्थ के फाउंडर सार्थक गुप्ता की मानें तो मुर्गे के पंख से प्लास्टिक बन सकता है।
इस प्लास्टिक का प्रयोग करने से वातावरण में फैलने वाले प्लास्टिक प्रदूषण को रोका जा सकता है और वातावरण को शुद्ध रखा जा सकता है। इसी को लेकर गुप्ता पिछले 4 सालों से एक रिसर्च कर रहे हैं। जल्द ही इस रिसर्च का नतीजा हम सबके सामने होगा। उम्मीद है कि अगले 1 साल में यह बायोडिग्रेबल प्लास्टिक बाजार में उपलब्ध होगी।
युवा जी-20 कंसल्टेशन में हिस्सा ले रहे गुप्ता ने बताया कि मुर्गे के पंखों में प्रोटीन होता है जिसे निकालकर पॉलीमर विकसित किया जा रहा है। पॉलीमर का प्राकृतिक स्रोत प्रोटीन ही है, जो अन्य पक्षियों के पंखों में भी होता है। फिलहाल रिसर्च मुर्गे के पंखों पर की गई है। यह आसानी से उपलब्ध भी होता है। वर्तमान में यह कचरे के रूप में प्रदूषण फैलाता है। सार्थक ने बताया कि 1 किलो पंख से करीब 800 ग्राम प्रोटीन मिलता है। इससे तैयार पॉलीमर से प्लास्टिक के अलावा कटोरी भी बनाने पर काम किया जा रहा है।
फिजिकल, डिजिटल जोड़ तैयार किया: फिजिटल क्सीनन एआई इंक्यूबेटर ने फिजिकल और डिजिटल को मिलाकर फिजिटल तैयार किया है। सार्थक ने बताया कि बच्चों से लेकर बड़ों की सेहत में सुधार आएगा और सबसे खास बात प्लास्टिक से वातावरण में होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।