Door to door Ramayana campaign: अभिनेता से राजनेता बने अरुण गोविल (Arun Govil) अब राजनीति का कहकरा अच्छे से पढ़ गए हैं। 'रामायण' सीरियल (Ramayana serial) में राम (Ram) का किरदार निभाकर अभिनय का लोहा मनमाने वाले अरुण गोविल ने अब मेरठ-हापुड़ सीट से सांसद होने के बाद समाज में बदलाव की बयार कैसे बहे, उसका बीड़ा उठाया है।
इसके लिए अरुण गोविल 'घर-घर रामायण अभियान' के तहत 11 लाख परिवारों तक पहुंचेंगे। राम के किरदार में जहां आज भी वे लोगों के दिल में बसे हुए हैं, वहीं अब भाजपा सांसद अरुण गोविल रामचरित मानस के माध्यम से समाज में एकजुटता और आदर्शों का रामराज्य पुनर्स्थापित करने का प्रयास करेंगे।
रामायण सांस्कृतिक धरोहर : सांसद का मानना है कि रामायण पढ़ने का असर देश व समाज पर दिखाई देगा। रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत है। आज जगह-जगह अपराध हो रहे हैं और लोगों के अंदर नकारात्मकता का भाव भी दिखाई दे रहा है। रामायण पढ़ने और समझने से समाज में चौंकाने वाला परिवर्तन आएगा। घर-घर रामायण पहुंचाना सांसद के नाते नहीं बल्कि देश के एक नागरिक के तौर पर है।ALSO READ: रामायण : द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा की रिलीज़ पर वित्त मंत्री ने जताई खुशी, ट्रेलर शेयर करके की तारीफ
उन्होंने कहा कि उनकी शादी के 45 वर्ष पूरे हो चुके हैं। पत्नी के बिना जीवन में कुछ भी कर पाना मुश्किल था। जीवनसंगिनी और अच्छे मित्र की भांति वे हर मुकाम पर मार्गदर्शक की भूमिका में रहीं। अरुण गोविल की पत्नी आज भी परिवार की धुरी हैं, वहीं वे रामायण को घर-घर पहुंचाने के अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई हैं।
22 जनवरी में रामलला प्राण प्रतिष्ठा का 1 वर्ष पूरा : गोविल ने कहा कि वे 'घर-घर रामायण अभियान' की शुरुआत 22 जनवरी से मेरठ किठौर विधानसभा क्षेत्र से करेंगे। इस तारीख का चयन इसलिए भी किया है कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अंग्रेजी तिथि के मुताबिक 22 जनवरी 2024 को हुई थी इसलिए राम के आदर्शों की स्थापना के लिए 'घर-घर रामायण अभियान' की शुरुआत 2025 से होगी।
उन्होंने कहा कि घर-घर रामायण पहुंचाकर समाज में फैली वैमनस्यता और आम व्यक्ति के जीवन मे बदलाव का लक्ष्य ग्रामीणांचल से लेकर शहरों तक जाएगा। रामचरित मानस किसी 2-4 परिवार या 2-4 घरों या गलियों में नहीं पहुंचेगी बल्कि 11 लाख परिवारों तक वितरण होगा।
पहले देश का नागरिक बाद में सांसद : गोविल ने मीडिया से कहा कि सांसद के नाते लोग उनके पास 'नाली, खरंजा, सड़क बनवा दो, श्मशान की दीवार और पानी की व्यवस्था करवा दो' आदि-आदि काम लेकर आते हैं। लोगों की मांग अपनी जगह सही है, सांसद होने के नाते मेरा काम है, लेकिन मैं सिर्फ इन कामों के लिए ही नहीं आया हूं। देश के लिए कुछ कर्तव्य हैं, उन्हें पूरा करने का संकल्प भी लिया है जिसके चलते गीता प्रेस द्वारा मुद्रित रामचरित मानस की 11 लाख प्रतियों का देश में नि:शुल्क वितरण करूंगा। रामचरित मानस गीता प्रेस में 13 भाषाओं में उपलब्ध है, जो कोई भी जिस भाषा में लेना चाहेगा, उसकी प्रति उपलब्ध करवा दी जाएगी।ALSO READ: श्री रामजी ने भी उड़ाई थी पतंग, पढ़ें रोचक जानकारी
रामचरित मानस घर-घर पहुंचाने का उद्देश्य : सांसद ने बताया कि जब वे सुबह अखबार खोलते थे तो उसमें प्रमुखता के साथ अपराध की खबरें होती थीं जिसे देखकर मन खिन्न हो जाता। मन सोचने लगता था कि हमारे लिए रिश्ते खत्म, परिवार का विघटन हो रहा है, सामाजिक रिश्ते और आसपास के लोगों का नाता समाप्त होता जा रहा है। शालीनता समाप्त होने के कारण यदि कोई बाहरी व्यक्ति किसी से पूछता था कि मुझे अमुक के यहां जाना है तो बताने वाला शख्स उसके घर तक छोड़कर आता था। लेकिन बदलाव की हवा ऐसी चली है कि जाना इधर होता है, तो बताने वाला उधर भेज देता है।
संबंधों के आधार को समझाती है रामायण : उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सामाजिकता का अभाव और संस्कारों का पतन होता जा रहा है। अगर समाज को मजबूत करना है, सांस्कृतिक रिश्ते की धरोहर को बचाना है तो रामायण को पढ़ व समझकर जीवन में उतारना होगा, तभी हम परिवार में एक-दूसरे को समझ सकते हैं, समाज को कुछ दे सकते हैं। रामायण को पढ़ने से पता चलता है कि पिता-पुत्र का संबंध, मां-बेटे का संबंध, पति-पत्नी का संबंध, मित्रों का संबंध व धर्म-जातियों का नाता कैसा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, रामायण में शत्रु से भी एक नाता होता है, उसका वर्णन भी मिलता है। श्रीरामजी के यज्ञ में रावण ब्राह्मण बनकर उस समय गए थे, जब युद्ध चल रहा था। अब यही सीख समाज को देनी है और यह बदलाव रामायण पढ़कर ही लाया जा सकता है। सांसद बोले इसलिए मैंने 11 लाख रामायण घर-घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। यदि मेरे प्रयास से एक या उससे अधिक परिवारों और आसपास के वातावरण में परिवर्तन आ गया तो यह मेरी उपलब्धि होगी।ALSO READ: संभल में भगवान राम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा निर्माणाधीन, आदित्यनाथ कर सकते हैं अनावरण
प्रधानमंत्री से आशीर्वाद में मांगा संदेश पत्र : रामायण देने के दृढ़ संकल्प के बाद उन्होंने खत के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आशीर्वादस्वरूप एक संदेश मांगा था, लेकिन संदेश उस समय नहीं मिला। कुछ समय बाद आमने-सामने के वार्तालाप के जरिए मन में उद्गार व्यक्त किए। कुछ दिन बाद संदेश आया तो मैं प्रसन्न हो गया कि मेरे मन की मुराद पूरी हो गई। प्रधानमंत्री के संदेश में लिखा गया है कि तुलसीकृत रामचरित मानस हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर है। यह हमें जीवन जीने की सही दिशा और आदर्श प्रदान करती है। यह महाकाव्य हमें अपने कर्म और संस्कारों को श्रेष्ठतम स्तर पर ले जाने का संदेश देता है।
परिवार को एकता के धागे और संस्कारों में पिरोते हैं अभिभावक : सांसद अरुण गोविल की पत्नी श्रीलेखा ने कहा कि परिवार के महत्व को लोग फिर से समझने लगे हैं। विदेशों में कार्यरत भारतीय बच्चे अपने माता-पिता को साथ ले जा रहे हैं ताकि उनके बच्चे अपने दादी-दादी से संस्कार पा सकें।
अरुण गोविल खुद संस्कारवान परिवार से : श्रीलेखा ने कहा कि अरुण गोविल खुद संस्कारवान परिवार से हैं। सास-ससुर ने संयुक्त परिवार में रहना सिखाया और जाति-पाति के बंधन को तोड़ा है। इसका उदाहरण अदाकारा तबस्सुम हैं, जो हिन्दू-मुस्लिम परिवार से जु़ड़कर रहीं, वहीं अरुण गोविल 6 भाई थे जिनकी पत्नियां अलग पंथ और जातियों से जुड़ी थीं। एक की पत्नी क्रिश्चियन थी, एक की कर्नाटक से, एक की मंगलौर से थी जबकि सांसद अरुण गोविल की पत्नी राजपूत है। ऐसे में सबको एकसाथ लेकर चलना सास-सुसर ने सिखाया। श्रीलेखा का मानना है कि रामायण के जरिए उच्च आदर्शों की स्थापना और परिवार को एकजुट रखा जा सकता है।