ऑटोग्राफ हमारे व्यवहार और पूरे जीवन का दर्पण है। अगर आप अपने वेलेंटाइन को जानना चाहते हैं तो उससे ऑटोग्राफ लीजिए। साथी के ऑटोग्राफ को देखकर लाइफ के प्रति उसकी thinking और दूसरों के प्रति उसके attitude का अनुमान लगाया जा सकता है।
ऑटोग्राफ से साथी की मन:स्थिति का पता लगाया जा सकता है। वे लोग जो हस्ताक्षर को बैलेंस रखते हों, यानी सभी लेटर एक ही शेप में रखते हों चाहे उन्होंने अपने ऑटोग्राफ को शॉर्टफॉर्म ही क्यों न कर दिया हो ऐसे लोग बेहद सोशल होते हैं। इनका विल पॉवर स्ट्रॉंग होता है। ऐसे व्यक्ति अपने डिसीजन खुद लेते हैं। इनकी पर्सनेलिटी आकर्षक होती है। लोग इनके विचारों से प्रभावित होते हैं।
ऑटोग्राफ के संबंध में यह जरूरी है कि ऑटोग्राफ बिना रुके होना चाहिए। यानी ऑटोग्राफ पूरी स्पीड में बिना पेन रोके हों, ऐसा ऑटोग्राफ सबसे अच्छा ऑटोग्राफ माना जाता है।
अलग-अलग इंडियन लैंग्वेज में बिखरे हस्ताक्षर अच्छे समझे जाते हैं। ऐसे हस्ताक्षरों से अनुमान लगाया जा सकता है कि साथी शालीन व एंबिशियस है। यदि ऑटोग्राफ में नाम भी स्पष्ट हो तो कहा जा सकता है, कि ऐसे ऑटोग्राफ करने वाले साथी 'सेल्फ सेंटर्ड' यानी आत्मकेंद्रित होते हैं।
भारत में ऐसे ऑटोग्राफ अधिकतर पोलिटिशियंस के होते हैं। यदि ऑटोग्राफ में साथी बस नाम लिखता हों, सभी अक्षर एक-दूसरे से जुड़े हों तो वह दबंग तथा चालाक होता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी समय कुछ भी कर सकता है।
ऑटोग्राफ अगर सीधी लाइन से ऊपर किया हो तो ऐसा साथी सतही होता है। इनमें डेप्थ नहीं होती। पेन को खूब गड़ा कर लिखने वाला शक्की होता है। ऑटोग्राफ अगर बाएँ से नीचे और दाहिनी तरफ उठा हुआ हो तो आपका वेलेंटाइन प्रोग्रेसिव होगा। लेकिन ऑटोग्राफ के दाहिनी तरफ झुकाव हो तो वह निराशावादी होगा। ऑटोग्राफ हमेशा नीचे से ऊपर की तरफ होना चाहिए। अपने नाम का पहला अक्षर घेरना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा साथी आपकी उन्नति नहीं चाहेगा, बस, खुद ही आगे बढ़ना पसंद करेगा।
ऑटोग्राफ के अंत में एक या दो बिंदू लगाना भी सफलता का प्रतीक है। कार्टून या डूडल्स बनाने वाला दिल का साफ और बेहद प्यार करने वाला होता है। तो इस वेलेंटाइन डे पर कहें अपने वेलेंटाइन से ऑटोग्राफ, प्लीज!