वैलेंटाइन डे पर्व प्रेम पर आधारित है। इस दिन भारत में ऋतु परिवर्तन हो रहा होता है। इसे वसंत ऋतु कहते हैं। बसंत ऋतु का रिश्ता प्रेम से है। प्रेम के पुजारियों के लिए हवाओं का मदमस्त उमंगों में बहने का दौर शुरू होता है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है। सोचा जाए तो ये दोनों पर्व प्रेमोत्सव ही हैं। भारत में बसंत पंचमी के दिन काम के देवता मदन का उत्सव भी मनाया जाता है। इसलिए इससे मदनोत्सव भी कहते हैं।ALSO READ: वैलेंटाइन वीक 2025: कस्टमाइज्ड गिफ्ट से लेकर रोमांटिक डेट नाइट तक, चॉकलेट डे पर पार्टनर को सरप्राइज करने के 5 सबसे रोमांटिक आइडियाज
1. राधा-कृष्ण के प्रेम का स्वरूप याद करते हुए कई प्रेमी युगल इस ऋतु में करीब आते हैं, कसमों-वादों के बंधन में बंध जाते हैं, वहीं वेलेंटाइन -डे पर युवा अपने प्रेम का इजहार करते हैं। जहां बसंतोत्सव पूरे माह मनाया जाता है, वहीं वेलेंटाइन सप्ताह मनाया जाता है।
बसंत पंचमी को क्यों कहते हैं भारत का वैलेंटाइन दिवस?
1. वसंत ऋति का आगमन : भगावन श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है- ''मैं ऋतुओं में वसंत हूं।''...क्योंकि इस दिन से प्रकृति का कण-कण वसंत ऋतु के आगमन में आनंद और उल्लास से गा उठता है। मौसम भी अंगड़ाई लेता हुआ अपनी चाल बदलकर मद-मस्त हो जाता है। प्रेमी-प्रेमिकाओं के दिल भी धड़कने लगते हैं। इस दिन से जो-जो पुराना है सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं। कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। गूंज उठता मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से और प्रकृति लेती हैं फिर से अंगड़ाइयां। इसी कारण यह प्रेम के इजहार का दिवस माना जाता है।
2. कामदेव का दिवस : वसंत पंचमी को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कामदेव का ही दूसरा नाम है मदन। इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव को मुख्य रूप से मनाया जाता है। औषध ग्रंथ चरक संहिता में उल्लेखित है कि इस दिन कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। ऐसे में कहना होगा कि यह प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए इजहारे इश्क दिवस भी होता है।ALSO READ: टेडी बियर कैसे बना वैलेंटाइन वीक का सबसे क्यूट और खास दिन? कैसे हुई टेडी डे की शुरुआत?