वसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है। अक्षराभ्यास से तात्पर्य यह है कि विद्या अध्ययन आरंभ करने से पहले बच्चों के हाथ से अक्षर लिखना प्रारम्भ कराना।
इसके लिए माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठें। बच्चे के हाथ से गणेश जी को पुष्प समर्पित कराएं और स्वस्तिवचन इत्यादि का पाठ करके बच्चे की जुबान पर शहद से ‘ऐं’ लिखें।
स्लेट पर खड़िया या चॉक से या कागज पर रक्त चंदन स्याही के रूप में उपयोग करते हुए अनार की कलम से ॐ , श्रीं, अं और ‘ऐं’ लिखवा कर अक्षराभ्यास करवाएं।
बच्चे के हाथ में मोर पंख दें और उसे स्याही में डूबोकर स्वास्तिक बनवाएं।
बच्चा जब बड़ा होने लगे तब बच्चे से इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण कराएं-
सरस्वती महामाये दिव्य तेज स्वरूपिणी।
हंस वाहिनी समायुक्ता विद्या दानं करोतु मे।
इस प्रक्रिया को करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी। उनकी स्मरण शक्ति और प्रखर होगी।
एक थाली को चावल से भर लें और उस पर बच्चे की अंगुली पकड़ कर ॐ, श्रीं, अं और ‘ऐं’ लिखवाएं।