मकान, दुकान या प्लॉट खरीदने से पहले उसके चारों ओर की बनावट, वातावरण और मूलभूत ढांचे की समीक्षा कर लेनी चाहिए। भूमि का चयन करना इतना आसान नहीं है जितना कि लोग समझते हैं। जिस जगह वास्तु कार्य होना है, उस जगह के वातावरण के साथ पानी की व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1. किसी भी गली या आवास स्थल की कतार में अंतिम मकान कभी नहीं खरीदना चाहिए। सड़क के किनारे बना हुआ मकान भी शुभ नहीं होता है।
2. वास्तु के स्थान पर गंदा नाला, वर्कशॉप आदि नहीं होना चाहिए।
3. ढलान वाले स्थान, डूब वाले स्थान में मकान नहीं बनाना चाहिए।
4. हवा, पानी, प्रकाश, चौड़ी गली तथा अपने नाम राशि के अनुकूल नगर एवं कॉलोनी में ही बसना चाहिए।
5. तीन कोणों से युक्त तिकोनी भूमि कभी नहीं खरीदना चाहिए। एक तरफ अधिक चौड़ा एवं एक तरफ कम चौड़ा भी अशुभ होता है।
6. किचन, गार्डन, फव्वारा आदि मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाना चाहिए।
7. मुख्य द्वार के सामने बाउंड्री वॉल नहीं होना चाहिए।
8. सार्वजनिक टंकी की छाया घर पर पड़े तो वह मकान निवास करने योग्य नहीं होता।
9. दो बड़े मकानों के बीच में एक छोटा मकान हो तो छोटा मकान रहने वालों के लिए हानिकारक होता है।
10. मकान से 1,800 फुट के अंदर मंदिर, मस्जिद, धर्मशाला, स्कूल, कॉलेज नहीं होना चाहिए। मकान के मुख्य द्वार के सामने शिव, विष्णु, दुर्गा का मंदिर भी नहीं होना चाहिए।
11. भवन निर्माण के सभी कार्य एवं लेन-देन जहां तक हो सके शुभ महीने, शुभ वार, शुभ तिथि को ही करना चाहिए एवं योग्य ज्योतिषी की सलाह से ही कार्य करें।
12. मकान के आसपास मंदिर, मस्जिद, मीनार या नाला शुभ नहीं है।