शंख को समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पाञ्चजन्य, अर्णवभव आदि नामों से भी जाना जाता है। स्वस्थ काया के साथ माया देते हैं शंख। शंख दैवीय के साथ-साथ मायावी भी होते हैं। शंखों का हिन्दू धर्म में पवित्र स्थान है। घर या मंदिर में शंख कितने और कौन से रखें जाएं इसके बारे में शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। शिवलिंग और शालिग्राम की तरह शंख भी कई प्रकार के होते हैं सभी तरह के शंखों का महत्व और कार्य अलग-अलग होता है। समुद्र मंथन के समय देव- दानव संघर्ष के दौरान समुद्र से 14 अनमोल रत्नों की प्राप्ति हुई। जिनमें आठवें रत्न के रूप में शंखों का जन्म हुआ। आओ जानते हैं महालक्ष्मी और कौरी शंख के फायदे।
किसी भी शंख की पूजा इस मंत्र से करना चाहिए-
त्वंपुरा सागरोत्पन्न विष्णुनाविघृतःकरे देवैश्चपूजितः सर्वथौपाच्चजन्यमनोस्तुते।
महालक्ष्मी शंख (Mahalakshmi Shankha) :
1. इस शंख को प्राकृतिक रूप से निर्मित श्रीयंत्र भी कहा जाता है इसीलिए इसका नाम महालक्ष्मी शंख है।
3. इसकी आवाज सुरीली होती है। इसे बजाने से घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
4. माना जाता है कि इस शंख की जिस भी घर में पूजा-अर्चना होती है, वहां देवी लक्ष्मी का स्वयं वास होता है।
2. इस शंख के घर में होने से धन और समृद्धि बढ़ती जाती है।
3. प्राचीनकाल से ही इस शंख का उपयोग गहने, मुद्रा और पांसे बनाने में किया जाता रहा है।