वास्तु शास्त्र और हिन्दू धर्म में ईशान कोण को बहुत महत्व दिया जाता है। कहते हैं कि सभी देवताओं का निवास स्थान धरती की ईशान दिशा में ही है। इसे भगवान शिव की दिशा भी माना जाता है। ईशान कोण में धरती का आकाश ज्यादा खुला और उजला नजर आता है। आओ जानते हैं कि घर का ईशान कोण कैसा होना चाहिए। घर के पूर्व और उत्तर के बीच ईशान कोण होता है।
1.पीले रंग का प्रयोग : ईशान कोण के स्वामी बृहस्पति हैं अत: इस कोण में पीतवर्ण का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे कोई से ही सांसारिक और आध्यात्मिक सुख एवं समृद्धि तय होती है। इस कोण को अच्छे से डेकोरेट करके रखना चाहिए।
2.जल की स्थापना : ईशान कोण में जल तत्व की स्थापना की जाती है। घर की इस दिशा में हैंडपंप, होद या कुआं बनवाया जा सकता है। यहां पर मटके या घड़े में जल भरकर रखा जा सकता है या यहां जल की स्थापना की जानी चाहिए।
3.पूजाघर : वास्तु के अनुसार यहां पर पूजाघर बनवाया जा सकता है लेकिन किसी लाल किताब के जानकार से पूछकर ही पूजा घर बनवाएं।
4. स्वच्छ और रिक्त रखें : यह कोण धन, स्वास्थ्य ऐश्वर्य, वंश में वृद्धि कर उसे स्थायित्व प्रदान करने वाला है अत: इस कोण को भवन में सदैव स्वच्छ एवं पवित्र रखना चाहिए।
5.मुख्य द्वार : घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। यदि आपका मकान ईशानमुखी है तो अति उत्तम है। बस आपको शौचालय, किचन और शयन कक्ष को वास्तु के अनुसार रखना चाहिए।
6. तिजोरी : कहते हैं कि यहां पैसा, धन और आभूषण रखने वाला घर का मुखिया बुद्धिमान माना जाता है। यह भी मान्यता है कि यह उत्तर-ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो पुत्र बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध होता है।
उल्लेखनीय है कि ईशान कोण में किसी भी प्रकार का दोष है और कुंडली में भी गुरु पीड़ित है तो जातक में पूजा पाठ के प्रति विरक्ति, देवता, धर्म और गुरुओं पर आस्था में कमी, आय में कमी, संचित धन में कमी, विवाह में देरी, संतानोत्पत्ति में देरी, मूर्च्छा, उदर विकार, कान का रोग, गठिया, कब्ज, अनिद्रा आदि कष्ट होने की संभावना रहती है।