Pooja ghar as per vastu shastra: यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह सप्तम या दशम भाव में है तो घर में पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए। चतुर्थ भाव में बृहस्पति के होने पर किसी वास्तु शास्त्री से पूछकर पूजा घर बनाएं। पूजा घर को वास्तु के अनुसार बनाएंगे तो ही उसका लाभ मिलेगा। हालांकि यदि आप हर हाल में पूजा घर बनवाना ही चाहते हैं तो वास्तु के 10 नियम जरूर जान लें।
2. इन दिशाओं में नहीं बनाएं पूजा घर : आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में मंदिर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं यम की होती है। यहां मंदिर बनाने से घर में अचानक घटना और दुर्घटना की संभावन बढ़ सकती है।
8. पूजा घर में ये न रखें : खंडित मूर्ति, विषम संख्या में मूर्ति, रौद्र रूप की तस्वीर, एक से ज्यादा शंख, कटी-फटी धार्मिक पुस्तकें, माचिस, निर्माल्य, टूटे हुए चावल, पूर्वजों की तस्वीर, साधु संतों के चित्र या मूर्ति न रखें। इसी के साथ ही पूजा घर में 2 शिवलिंग, 3 गणेश, 2 शंख, 2 सूर्य, 3 दुर्गा मूर्ति, 2 गोमती चक्र और 2 शालिग्राम नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है। इसी के साथ ही माता काली, शनिदेव और भैरवजी की मूर्ति भी नहीं रखते हैं। माता लक्ष्मी की खड़ी हुई मूर्ति भी नहीं रखना चाहिए।
9. क्या होना चाहिए : शंख, गरुढ़ घंटी, कौड़ी, चंदन बट्टी, तांबे का सिक्का, आचमन पात्री, शालिग्राम, शिवलिंग, सुगंधी, पीला वस्त्र, जप माला, जनेऊ, पूजा की छोटी सुपारी, तरभाणा, गंगाजल और पानी का लोटा होना चाहिए।