Vaijayanti plant benefits:भगवान श्री कृष्ण को माखन, मिश्री, चंदन, बांसुरी, गाय, तुलसी, मोरपंख और वैजयंती माल आदि वस्तुएं प्रिय हैं। इनमें से वे वैजयंती माला को धारण करते हैं। वैजयंती के वृक्ष पर बहुत ही सुंदर फूल उगते हैं। इसके फूल बहुत ही सुगंधित और सुंदर होते हैं। इसके बीजों की माला बनाई जाती है। वैजयंती के फूल भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने जब पहली बार राधा और उनकी सखियों के साथ रासलीला खेली थी, तब राधा ने उन्हें वैजयंती माला पहनाई थी। ALSO READ: यदि धनवान बनना है तो वास्तु के अनुसार घर में करें मात्र 3 काम, कमाल हो जाएगा
वैजयंती का पौधा : वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है। इसका पौधा घर में लगा लिया तो दुर्भाग्य दूर भाग जाएगा। इसे लगाने से साक्षात माता लक्ष्मी का घर में वास हो जाता है। जीवन में कभी भी धन समृद्धि और सुख की कमी नहीं होती है। वैजयंती एक फूल का पौधा है जिसमें लाल तथा पीले फूल निकलते हैं। इस फूल कड़े दाने कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं और हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब तक जीवन है, तब तक ऐसे ही बने रहो। दूसरा यह माला एक बीज है। बीच सदैव भूमि से जुड़कर ही खुद को विस्तारित करता है। इसका अर्थ यह है कि कितने भी बड़े क्यों न बन जाओ हमेशा अपनी भूमि से जुड़े रहो।ALSO READ: Vastu Tips : वास्तु शास्त्र के ऐसे 5 चमत्कारिक उपाय कि जीवन में मिलेगा अपार धन
वैजयंती की माला : इसकी माला पहनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस माला को धारण करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में मन लगाकर कार्य करता है। इस माला को किसी भी सोमवार अथवा शुक्रवार को गंगाजल या शुद्ध ताजे जल से धोकर धारण करना चाहिए। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में वैजयंती के बीजों की माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक है। यह सभी तरह की मनोकामना पूर्ण करता है।
मला से जप : प्रतिदिन इस माला से अपने ईष्ट का जप करने से नई शक्ति का संचार तथा आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। वैजयंती माला से 'ऊं नमः भगवते वासुदेवाय' का मंत्र नित्य जापने से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है। जप के बाद केले के पेड़ की पूजा करना चाहिए। वैजयंती के बीजों की माला से भगवान विष्णु या सूर्यदेव की उपासना करने से ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है। खासकर शनि का दोष समाप्त हो जाता है। इस माला को धारण करने से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।ALSO READ: Vastu tips : वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर में रखी हैं ये 5 चीजें तो तुरंत कर दें बाहर, धन की होगी हानि
कुछ विद्वानों का कहना है कि इस वैजयन्ती माला में पांच प्रकार की मणियों को गूंथा जाता है जो पंचमहाभूतों की प्रतीक हैं। इन मणियों के नाम है इन्द्रनीलमणि (पृथ्वी), मोती (जल), पद्मरागमणि (अग्नि), पुष्पराग (वायुतत्त्व) वज्रमणि अर्थात हीरा (आकाश)।
वैजयंती माला का महत्व : एक कथा के अनुसार इन्द्र ने अंहकारवश वैजयंतीमाला का अपमान किया था, परिणामस्वरूप महालक्ष्मी उनसे रुष्ट हो गईं और उन्हें दर-दर भटकना पड़ा था। देवराज इन्द्र अपने हाथी ऐरावत पर भ्रमण कर रहे थे। मार्ग में उनकी भेंट महर्षि दुर्वासा से हुई। उन्होंने इन्द्र को अपने गले से पुष्पमाला उतारकर भेंटस्वरूप दे दी। इन्द्र ने अभिमानवश उस पुष्पमाला को ऐरावत के गले में डाल दिया और ऐरावत ने उसे गले से उतारकर अपने पैरों तले रौंद डाला। अपने द्वारा दी हुई भेंट का अपमान देखकर महर्षि दुर्वासा को बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन्द्र को लक्ष्मीहीन होने का श्राप दे दिया।ALSO READ: Vastu Tips : 5 भयंकर वास्तु दोष से जीवन हो जाता है बर्बाद, भले ही उच्च के ग्रह हों