Vat Savitri Amavasya Vrat : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आज वट सावित्री अमावस्या व्रत किया जा रहा है। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत किया जाता हैं। इस दिन व्रत-उपवास रखकर बरगद की पूजा की जाती हैं तथा पीपल और शमी वृक्ष का पूजन किया जाता हैं। स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री अमावस्या और पूर्णिमा के दिन व्रत करना चाहिए।
वट सावित्री अमावस्या पर पूजा विधि : Vat Savitri Vrat Pooja Vidhi 2024
* वट सावित्री अमावस्या के दिन सुहागन महिलाएं सुबह उठकर अपने नित्य क्रम से निवृत होकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र या नए वस्त्र धारण करें।
* फिर 16 श्रृंगार करें।
* इसके बाद पूजन के सभी सामग्री को डलिया या थाली में सजा लें।
* बरगद/वट वृक्ष के नीचे जाकर वहां पर सफाई कर सभी सामग्री रख लें।
* सबसे पहले सत्यवान एवं सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। अब धूप, दीप, रोली, सिंदूर से पूजन करें।
* लाल कपड़ा सत्यवान-सावित्री को अर्पित करके फल समर्पित करें।
* फिर बांस के पंखे से सत्यवान-सावित्री को हवा करें।
* बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाएं।
* अब धागे को बरगद के पेड़ में बांधकर अपनी श्रद्धानुसार 5, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा करें।
* इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
* इसके बाद घर में आकर उसी पंखे से अपने पति को हवा करें तथा उनका आशीर्वाद लें।
* शाम के वक्त एक बार मीठा भोजन करें।
* तत्पश्चात अपने पति की लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।
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