एंड्रॉयड फोन और आईफोन में इन दिनों कोरोना वायरस से संबंधित एक नया फीचर देखने को मिल रहा है, जिसके बाद गूगल और एप्पल पर जासूसी का आरोप लग रहा है। सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि सभी लोगों के फोन में गुपचुप तरीके से कोविड-19 सेंसर लगाया जा रहा है।
क्या है वायरल मैसेज में-
वायरल मैसेज में लिखा गया है कि जब पिछले हफ्ते सभी के मोबाइल फोन में गड़बड़ी हो रही थी, तब गूगल और एप्पल हमारे फोन में कोविड-19 ट्रैकर जोड़ रहे थे, जो हमारी निगरानी करेगा।
क्या है सच-
वायरल मैसेज में जिस कोविड-19 ट्रैकिंग सिस्टम की बात की जा रही है, वो दरअसल कोरोना वायरस के खतरों से बचाव के लिए गूगल और एप्पल की संयुक्त पहल है। इस फीचर का नाम है- ‘कोविड-19 एक्सपोजर नोटिफिकेशन’। यह किसी भी तरह का एप नहीं है, बल्कि यह आपके एंड्रॉयड और आईफोन के सेटिंग में एक विकल्प के रूप में जुड़ा है। इसके जरिये कोई भी कोरोना निगरानी का एप या प्रणाली विकसित कर सकता है। एपल के सीईओ टिम कुक ने कहा है कि यह यूजर्स का डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रखेगी।
ये तकनीक दुनिया भर के उन एप से जुड़ती हैं, जिन्हें वहां की सरकारों ने कोरोना के लिए बनाया है। यह तकनीक ब्लूटूथ वायरलेस तकनीक पर आधारित है, जो आपकी अनुमति देने के बाद ही काम करती है। इस तकनीक के जरिए सरकारें आपकी जानकारी जुटाती है कि आप किन-किन लोगों से मिले हैं। जैसे ही आप किसी कोरोना पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आते हैं तो यह आपको अलर्ट नोटिफिकेशन देता है। अभी तक लगभग 22 देश इस तकनीक का इस्तेमाल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए कर रहे हैं, जिनमें फिलहाल भारत शामिल नहीं है।
वेबुदनिया की पड़ताल में पाया गया है कि ‘कोविड-19 एक्सपोजर नोटिफिकेशन’ कोई एप नहीं है और न ही ये आपकी जासूसी कर रहा है। गौर करने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि यह तकनीक भारत में है ही नहीं, क्योंकि भारत सरकार ने कोविड-19 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए अपना एप ‘आरोग्य सेतु’ विकसित किया है।