आत्महत्या के विरुद्ध सशक्त आवाज है इश्मीत की कविता

खुदकुशी...सिर्फ एक इंसान की जान नहीं लेती, बल्कि उससे जुड़ी कई चीजों को गहरे प्रभावित करती है। एक जिंदगी का अंत, उससे जुड़े और प्रेम करने वाले हर एक शख्स के जीवन में शून्यता छोड़ जाता है, और रह जाता है सिर्फ एक सवाल... बिन कुछ बताए, बिन कुछ बोले... कैसे चला गया कोई ...। 
 
ऐसे ही कुछ लोगों के लिए जो अपनों के चले जाने पर इस तरह के सवालों का आज तक जवाब ढूंढ रहे हैं, इश्मीत नागपाल ने प्रस्तुत की है यह कविता "बिफोर यू कमिट सुसाइड"...जिसे पढ़ने और सुनने के बाद शायद आपको कई सवालों के जवाब खुद-ब-खुद मिल जाएंगे।अनईरेज द्वारा अपलोड की गई यह कविता किसी तनाव से ग्रसित व्यक्ति के मस्तिक के भावों एवं डि‍प्रेशन को सटीकता से समझाती है।
 
वे आपसे यह नहीं कहते कि वे ठीक नहीं है और उन्हें सहज होने के लिए आपके कंधे की आवश्यकता है...बल्कि वह आप हैं, जो उनकी खामोशी को समझते हुए उनके साथ खड़े हो सकते हैं। उनका हाथ थामिए..उन्हें गले लगाईए और उन्हें वापस जीवंत बनाईए...। पढ़ें प्रभावशाली कविता -
 
 
ऐसे दिन तो आएंगे 
जब लगेगा कि दुनिया की
तमाम कला और खूबसूरती भी 
अब आपको बचा नहीं पाएगी 
 
अपना ढेर सारा पैसा 
महंगे पेय और तले हुए खाने पर
लगा कर भी लगेगा 
कि जिंदगी उंगलियों से 
रिसती हुई जा रही है 
 
और अनजान लोग सोचेंगे 
कि आप ठीक तो हैं 
या कभी हो भी पाएंगे 
 
ये यार दोस्त हमेशा ध्यान बंटा पाएंगे 
या अब भी ऐसा कर पा रहे हैं क्या ?
 
दरअसल बहुत सारे लोग होंगे 
सामाजिक मौके होंगे 
जब आपको खुद से बाहर निकल कर 
बात करनी होगी और अगर सिर्फ 
एक और इंसान ने पूछ लिया 
सब ठीक तो है ?
यकीन मानिए कुछ ठीक नहीं होगा 
 
जैसे कितनी भी बार आप 
दरवाजे को अपनी ओर खींचिए 
वो नहीं खुलेगा 
क्यूंकि आपकी आंखें 
नजरअंदाज कर रही हैं 
उस दरवाजे पर लिखे लक्षण को 
जो बड़े-बड़े अक्षरों में 
कह रहा है - धकेलिए 
 
आप यह भी हिसाब लगाएंगे 
कि आपके जाने के बाद 
लोग प्यार से आपको 
याद तो करेंगे ना ? 
 
कि आपका दिल कितना बड़ा था 
या आप में कितनी असीमित संभावनाएं थीं 
लोग अपनी- अपनी सुनाएंगे 
कोई कहेगा कि प्यार ने 
आपकी जान ले ली 
कोई कहेगा पैसे ने 
 
या यह आपके सीने में दबा हुआ शून्य था 
जो आखि‍र में आपको निगल गया 
क्या कभी उन्हें वे कविताएं मिलेंगी 
जो ऐश ट्रे के नीचे बिखरी पड़ी हैं 
या वो गाने या पेंटिंग्स 
जो आप बनाना चाहते थे 
उन तमाम दिनों में 
जब आपको लगा था कि 
दुनिया की तमाम कला और खूबसूरती भी 
अब आपको बचा नहीं पाएगी 
 
आप अपने सीने को निकाल कर 
अपना दिल भी निकाल कर 
फेंक देना चाहते हैं 
पर रुकिए, ठहरिए, थम जाइए 
 
यह सच आपका अकेले का नहीं है 
आपकी ही तरह कोई और 
कहीं और ठीक इसी वक्त  
इसे जी रहा है 
 
यह दानव हर 40 सेकंड में 
किसी ना किसी की जान ले लेता है 
यह बहुत आसानी से 
उसे भी निगल सकता है 
 
और हालांकि वह भी मान ही बैठी है 
कि दुनिया की कोई भी चीज या इंसान 
उसे बचा नहीं सकता 
 
मैं फिर भी कोशिश करूंगी 
और आप ? 

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