भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया : विश्व कप का महामैच

चार साल पहले अहमदाबाद में भारत ने वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को हराया था, तब वर्ल्ड कप भारत में हुआ था, ग्राउंड भारत का था और कप भी भारत ने जीता था। चार साल बाद समीकरण उलटे हैं। इस बार वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है और ग्राउंड भी उसी का है।

इन दोनों देशों की प्रतिद्वंद्विता हाल के सालों में क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता साबित हुई है। भारत और पाकिस्तान से भी बड़ी। भारत ने कई कई बार ऑस्ट्रेलिया का विजयी रथ रोका है- चाहे टेस्ट मैचों में लगातार जीत का सिलसिला हो या तीन वर्ल्ड कप जीतने का, लेकिन ये जीत भारतीय उप महाद्वीप की धरती पर हुआ करती है।

वर्ल्ड कप में भी वह ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में अपने ही ग्राउंड पर हरा पाया, वर्ना तो कुल 10 वर्ल्ड कप मैचों में भारत को सात बार हार का सामना करना पड़ा है। इसमें विश्व कप 2003 का फाइनल मुकाबला भी शामिल है।

सिडनी पर ऑस्ट्रेलिया सिर्फ एक बार भारत से हारा है और 12 बार उसे हराया है, पर हर मैच नया होता है और जैसा कि कहते हैं, क्रिकेट असीम संभावनाओं का खेल है। यह ऑस्ट्रेलिया का इकलौता विकेट है, जहां स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलती है।  स्पिन - यानी ऑस्ट्रेलिया की कमजोरी। यह विश्व कप तेज पिचों पर हो रहा है और ज्यादातर विकेट भी तेज गेंदबाजों ने लिए हैं, लेकिन स्पिनरों का स्पेल हैरान कर रहा है।

इमरान ताहिर, डेनियल विटोरी और आर. अश्विन की गेंदें ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर रहस्य बनती जा रही हैं। ऑस्ट्रेलिया के पास अश्विन की गेदों का जवाब नहीं दिखता। वे सिडनी पर करिश्मा कर सकते हैं, बशर्ते ऑस्ट्रेलिया पिच को तेज गेंदबाजों के लायक न बना दे। विश्व कप आईसीसी का एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और कायदे से किसी देश को इस दौरान किसी पिच को अपने अनुकूल बनाने का हक नहीं।

जहां तक महेंद्र सिंह धोनी की टीम का सवाल है, वे लगभग चार महीने से ऑस्ट्रेलिया में हैं और जम चुकी है। वर्ल्ड कप में वे न्यूजीलैंड के साथ सारे मैच जीतने वाली टीम है और इकलौती ऐसी टीम, जिसने हर बार अपनी विपक्षी टीम को ऑल आउट किया है। खिताब जीतने के लिए से उसे अब ज्यादा से ज्यादा दो मैच खेलने हैं, लेकिन दीगर बात यह भी है कि भारत के दो शुरुआती मैच ही उसके सबसे मुश्किल मुकाबले थे। इसके बाद उसे जिम्बाब्वे, यूएई और बांग्लादेश जैसी कमजोर टीमों से ही भिड़ना पड़ा है।

सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली टीमों का स्तर लगभग एक जैसा होता है। मैदान के साथ साथ मनोवैज्ञानिक खेल भी चलता रहता है और जो टीम इस दबाव पर नियंत्रण कर लेती है, उसका पलड़ा भारी हो जाता है। सिडनी में मेजबान होने के वाबजूद ऑस्ट्रेलिया से कहीं ज्यादा भारतीय दर्शक दिखने वाले हैं। करीब 42000 सीटों में से 30000 पर भारतीय फैन्स दिखेंगे। ऑस्ट्रेलिया के सुनहरे रंग की जगह सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर भारत का नीला रंग छाया होगा। माइकल क्लार्क की टीम को इस मनोवैज्ञानिक मुकाबले से भी निपटना होगा।

कागज पर मेजबान भारी दिख रही है लेकिन मैच कागजों पर नहीं, सिडनी ग्राउंड पर खेला जाना है। जीत चाहे किसी की हो, यह इस वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा मुकाबला होगा। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मिलकर 10 में से छ: विश्व कप खिताब जीते हैं। सेमीफाइनल जीतने वाली टीम ही खिताब की प्रबल दावेदार होगी।

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