काली मुद्रा से बुढ़ापा भागेगा दूर और पाचन रहेगा दुरुस्त

अनिरुद्ध जोशी
योग में कई तरह की शरीरिक मुद्रा और हस्त मुद्राओं का उल्लेख मिलता है। मुद्राओं का उल्लेख घेरंड संहितता और हठयोग प्रदीपिका मिलता है। आओ जानते हैं काली मुद्रा कैसे करें और क्या है इसके लाभ।
 
 
काली मुद्रा तीन तरह से होती है-
 
कैसे करें :
1. पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में बैठकर अपनी जीभ को सुविधानुसार बाहर निकाल दें। आपने मां कालीका का फोटो देखा होगा, बस उसी तरह की मुद्रा में 30 सेकंड तक रहें।
 
2. दूसरा तरीका अपने होठों का सीटी बजाने जैसा आकार कर लें। अब पहले मुंह से गहरी सांस लें और फिर उसे नाक से छोड़ दें। इस दौरान आपकी नजर नाक के आगे वाले भाग पर रहना चाहिए।
 
 
3. तीसरा तरीका है हस्त द्वारा मुद्रा बनाना। इसके लिए पहले दोनों हाथों की अंगुलियों को अच्छे से मिला लें और फिर तर्जनी अंगुलियों को बाहर निकालकर सीधा करते हुए मिला लें। जैसे किसी पर हाथों से पिस्तौल तानते हैं वैसे ही। इस मुद्रा को बनाकर आपको अपनी छाती के पास रखना है। 10 बार ओम का उत्चारण करके के बाद इसे छोड़ देने है।
इसका लाभ :
1. इससे आपकी आंखों में जमा पानी और विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाता है या अंदर पेट में पहुंच जाता है। इससे आंखें स्वस्थ होकर अच्छा महसूस करती है। साथ ही यह आंखों के नीचे बनी झुर्रियां भी मिटाता है।

 
2. इससे शरीर की कुछ खास तरह की ग्रंथियों से रस का बहाव होता है तथा पुराने रोग और बुढ़ापे को दूर करने में मदद मिलती है तथा ये मुद्रा भोजन पचाने की क्रिया को भी ठीक करती है।
 
3. इससे सकारात्मक भाव का विकास होगा, इससे आत्म विश्वास बढ़ेगा, यह मुद्रा बुढापे की गति को रोक देगी और आपकी पाचन क्रिया हो सही कर देगी। 

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