सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन को करना गठिन होता है। किसी योग्य योग शिक्षक की देखरेख में करना चाहिए अन्यथा गर्दन में समस्या उत्पन्न हो सकती है या और किसी तरह की समस्या खड़ी हो सकती है। आओ जानते हैं शीर्षासन करना का तरीका और उसको नियमित करके के 7 फायदे।
विधि :
1.सबसे पहले किसी दीवार के पास यह आसन करें ताकी विपरीत दिशा में गिरे तो दीवार का सहारा होने से गिरने से बच जाएं। मतलब है कि आपकी पीठ दीवार की ओर होना चाहिए।
2. अब दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए फिर हाथों की कोहनियां जमीन पर टिकाएं। फिर हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर ग्रिप बनाएं, तब सिर को ग्रिप बनी हथेलियों के पास भूमि पर टिका दें। इससे सिर को सहारा मिलेगा।
3. फिर घुटने को जमीन से उपर उठाकर पैरों को लंबा कर दें। फिर धीरे-धीरे पंजे टिके दोनों पैरों को पंजों के बल चलते हुए शरीर के करीब अर्थात माथे के नजदीक ले आते हैं और फिर पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए उन्हें धीरे से ऊपर उठाते हुए सीधा कर देते हैं तथा पूर्ण रूप से सिर के बल शरीर को टिका लेते हैं।
अवधि : कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद पुन: उसी अवस्था में आने के लिए पहले पैर घुटने से मोड़ते हुए धीरे-धीरे घुटनों को पेट की तरफ लाते हुए पंजों को भूमि पर रख देते हैं। फिर माथे को भूमि पर टिकाकार कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद सिर को भूमि से उठाते हुए वज्रासन में बैठकर पूर्व स्थिति में आ जाए।
सावधानी : प्रारम्भ में यह आसन दीवार के सहारे टिक कर ही करें और वह भी योगाचार्य की देख-रेख में। सिर को भूमि से टिकाते समय ध्यान रखें की अच्छी तरह सिर का वह भाग ही टिका है, जिससे गर्दन और रीढ़ की हड्डी सीधी रह सकें। पैरों को झटके से ऊपर ना उठाएं। अभ्यास से यह स्वतः ऊपर उठने लगता है।
पुन: सामान्य स्थिति में आने के लिए झटके से पैरों को भूमि पर न रखें तथा सिर एकदम से उपर न उठाएं। पैरों को क्रमश: ही भूमि पर रखें और सिर को हाथों के पंजों के बीच में कुछ देरी तक रखने के बाद ही वज्रासन में आएं। जिन्हें सिर, मेरुदंड, पेट आदि में कोई शिकायत हो वह यह आसन कतई न करें।
फायदे:
1. इससे पाचनतंत्र को लाभ मिलता है।
2. इससे मस्तिष्क का रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति पुष्ट होती है।
3. हिस्टिरिया एवं अंडकोष वृद्धि, हर्निया, कब्ज आदि रोगों को दूर करता है।