जब बेचैन हो जाएँ टाँगें

डॉ. ‍माजिद अली

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अपनआसपास लोगों पर नजरें दौड़ाएँगे तो उनमें से कुछ लोग कुर्सी या सोफे पर बैठे टाँग हिलाते हुए दिख जाएँगे या हो सकता है कि आप भी जाने-अनजाने टाँगें हिलाते हों। यूँ तो टाँगों को लगातार हिलाना कई लोगों में महज आदत ही होती है लेकिन कुछ लोगों में यह तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारी का लक्षण भी होता है। जरा कहीं बैठने या फिर लेटने पर इन्हें ऐसा महसूस होने लगता है मानो उनकी टाँगों पर कुछ रेंग रहा हो, कभी कोई झनझनाहट, तो कभी खुजली-सी लगती है। कुल मिलाकर वे अपनी टाँगों में असहजता महसूस करते हैं और इससे राहत पाने के लिए टाँगों को हिलाने लगते हैं।

इस वजह से उनकी नींद भी बाधित होती है। इस बीमारी को "रेस्टलेस लेग सिंड्रोम" कहते हैं। अब तक इस बीमारी के कारणों का पता नहीं चला है। परन्तु यह पाया गया है कि यह 70 प्रतिशत से ज्यादा उन लोगों को होती है जिनके घर-परिवार में यह पहले भी किसी को थी।

शुरुआती चरण में यह बीमारी आपको भले ही परेशान न करे लेकिन बढ़ने पर यह खतरनाक साबित हो सकती है। इस बीमारी से बचने के लिए लंबे समय तक बैठने से बचना चाहिए और विटामिन -बी, दूध और आयरन से भरपूर भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के कारण अनिद्रा, चि़ड़चिड़ापन, सिर में दर्द और ध्यान की कमी की समस्या हो सकती है।

अच्छी नींद या व्यायाम कुछ मरीजों के ठीक होने में सहायक होते हैं। धूम्रपान छोड़ने से भी इस बीमारी के लक्षण कम हो सकते हैं। जिन रोगियों में इसके लक्षण गंभीर नहीं होते उन्हें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने भर की जरूरत होती है।

आयरन, फोलेट और मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिए अपनी डायट में इनकी भरपूर मात्रा लेना चाहिए। गरम पानी से नहाना, पैरों की मसाज करना, गरम व ठंडी सिंकाई करने और चलने-फिरने से मरीज को क्षणिक लाभ मिलता है। टहलने के अलावा व्यायाम, साइकल चलाना और अन्य शारीरिक क्रियाओं से भी लाभ मिलता है।

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