अयोध्या जनपद की महिलाओं की 'आजादी' की अनूठी दास्तान

संदीप श्रीवास्तव
Women Empowerment in Milkipur: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर तहसील के हरिंगटनगंज ब्लॉक की 15 ग्राम पंचायतों में स्वयंसेवी संस्था 'साथी उत्तर प्रदेश' द्वारा ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के बाद इन सभी ग्राम पंचायतों मे नई क्रांति सी आ गई है। क्षेत्र की महिलाएं अपने व अपने परिवार के विकास के साथ-साथ समग्र गांव के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। सही मायने में वे आजादी का अर्थ समझ रही हैं।  इन महिलाओं ने जागरूक होकर 10 वर्षों में वह कर दिखाया, जिसकी सराहना पूरे क्षेत्र मे हो रही है। 
 
हरिंगटनगंज ब्लॉक पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र है, जिनका प्रतिशत लगभग 50 प्रतिशत से अधिक है और इस ब्लॉक के अंतर्गत 60 ग्राम पंचायतं हैं, जिनमें कुल जनसंख्या लगभग 1 लाख 86 हजार है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या लगभग एक लाख है।
 
इस तरह हुई शुरुआत : देखा जाए तो ब्लॉक सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ रहा है। सरकार की ग्रामीण विकास योजनाएं भी कोसों दूर थीं, किन्तु स्वयंसेवी संस्था 'साथी उप्र' ने घर की चारदीवारी मे कैद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्ष 2013 में इस ब्लॉक में दस्तक दी और 10 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया। 
 
सर्वे में खुलासा हुआ कि इन ग्राम पंचायतों में रहने वालों की आय का मुख्य स्रोत है मजदूरी व क़ृषि मजदूरी है। महिलाओं की संख्या इनमें नहीं के बराबर थी। इनके परिवार का भरण-पोषण भी बड़ी मुश्किल से होता था एवं महिलाओं के ऊपर काफी पाबंदी भी थी। वे अपने व अपने परिवार के बारे में सोचना तो दूर वे घर से बाहर भी नहीं निकल सकती थीं, जो पुरुष मजदूरी करते थे उन्हें जो मजदूरी मिलती थी, उसे वे नशे मे उड़ा देते थे।
 
दूसरों की भी आवाज बन रही हैं महिलाएं : महिलाओं की समस्या सुनने वाला कोई नहीं था, लेकिन साथी के कार्यकर्ताओं की प्रबल इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत के चलते गांव-गांव, घर-घर जाकर महिलाओं से मिलना उन्हें जागरूक कर ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में शामिल कर उन्हें जागरूक किया। संस्था का प्रयास रंग लाया और 10 ग्राम पंचायतों से बढ़कर दायरा 15 पंचायतों तक पहुंच गया। 
15 ग्राम पंचायत और 20 राजस्व गांव की 3419 महिलाओं को परिवार का साथ मिला, जो कि साथी द्वारा गांव में चलाए जा रहे 'ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम' के जरिए जागरूक होकर अपने हक व अधिकार के लिए आवाज उठा रही हैं। आज अपने परिवार के साथ-साथ अपने गांव के समग्र विकास के लिए भी महिलाएं आवाज उठा रही हैं। महिलाएं आगे बढ़कर संगठन का नेतृत्व भी कर रही हैं। 
 
कोरोनाकाल मे दिखी जागरूकता : कोरोना का समय ऐसा समय था, जिसे दुनिया मे कोई नहीं भूल सकता क्योंकि जहां एक तरफ इस महामारी के दौरान इंसान एक दूसरे से दूर भाग रहा था, वहीं इस ब्लॉक की महिलाओं ने 'साथी' के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद परिवारों में घर-घर जाकर राशन का पैकेट पहुंचाए। कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत हुई, किन्तु तब तक भारत में वैक्सीन की शुरुआत हो चुकी थी, जिसमें बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जा रही थी। 
 
वैक्सीन को लेकर तब अफवाहें भी जोरों पर थी। ऐसे में महिलाओं ने अभियान का प्रमुख हिस्सा बनकर गांव में घर-घर जाकर बड़े- बुजुर्गों को इस वैक्सीन के बारे में जागरूक कर उन्हें घर से वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। साथी के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। ये वही महिलाएं हैं जो कभी अपने व अपने परिवार के बारे में कुछ भी सोचने व करने की क्षमता नहीं रखती थीं। 
 
महिलाएं गांव में आज सरकार की अधिकांश ग्रामीण विकास योजनाओं का क्रियान्वयन भी करा रही हैं। चाहे वो बसरा खुर्द ग्राम पंचायत में ग्रामीण स्वास्थ की योजना हो या इसी गांव में स्वास्थ कैम्प व टीकाकरण लगाने का कार्य हो। जो पहले कभी नहीं हुआ वह इन महिलाओं ने कर दिखाया। 
 
इन महिलाओं के प्रयास से ही पाराताजपुर की ऊषा के राशन कार्ड की यूनिट बढ़ी, वहीं ग्राम पंचायत रजौरा निवासी गरीब महिला कोयल की आवास व शौचालय की समस्या का समाधन हुआ। ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के द्वारा आत्मनिर्भर हुईं इन ग्रामीण महिलाओं के कारण इन ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार का ग्राफ भी काफी बढ़ गया है। महिलाओं के साथ पुरुष भी उन्हें देखकर जागरूक हो चुके हैं। 
 
हरिंगटनगंज ब्लॉक की 15 ग्राम पंचायतों की महिलाओं के लिए अनवरत प्रयास का ही परिणाम है कि ये महिलाएं अपने हक के लिए लड़ रही हैं और दूसरों की भी मदद के‍ लिए हाथ आगे बढ़ा रही हैं। आजादी की हकीकत भी अब उन्हें समझ में आ रही है। 
 

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