फराह खान के परिवार के सदस्यों (फराह/साजिद/शिरीष) का नाम पोस्टर पर देख डर लगता है क्योंकि इनके द्वारा 'जोकर', 'हमशकल्स', 'तीस मार खां', 'हिम्मतवाला' जैसी फिल्में बनाई गई हैं जो अधिकांश लोगों के लिए टॉर्चर से कम नहीं थी। ये इतनी लंबी-लंबी देते हैं कि लपेटना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद फराह के पति पर हाथ उठाने वाले शाहरुख ने कड़वी बातों को भूला कर अतीत में बनाई गई हिट फिल्म 'मैं हूं ना' और 'ओम शांति ओम' को ध्यान में रखते हुए लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपये की फिल्म की बागडोर फराह के हाथों में सौंप दी।
फराह ने अपनी पिछली फिल्म 'तीस मार खां' में एक बहुत बड़ी चोरी को दिखाया था। दर्शकों को बात नहीं जमी, लेकिन फराह को लगा कि वे सही हैं, लिहाजा 'हैप्पी न्यू ईयर' में भी चोरी वाली कहानी फिर दर्शकों के सामने परोसी है। भेड़चाल के लिए प्रसिद्ध बॉलीवुड में भी इन दिनों तमाम अभिनेताओं को 'चोर' बनने का चस्का लगा हुआ है। अक्षय कुमार (तीस मार खां), आमिर खान (धूम 3), रितिक रोशन (बैंग बैंग), सलमान खान (किक) करोड़ों की चोरियां चुटकी में कर चुके हैं तो भला किंग खान कैसे पीछे रहे सकते थे।
चंद्रमोहन शर्मा उर्फ चार्ली (शाहरुख खान) के पिता (अनुपम खेर) 'सेफ' बनाने में एक्सपर्ट थे। वे चरण ग्रोवर (जैकी श्रॉफ) के लिए एक बहुत बड़ा सेफ बनाते हैं जिसका नाम है 'शालीमार'। चार्ली के पिता के साथ चरण ग्रोवर षड्यंत्र करता है और उन्हें जेल हो जाती है। चार्ली अपने पिता का बदला लेना चाहता है। वह शालीमार में रखे 300 करोड़ रुपये के हीरे चुराना चाहता है। यह हीरे शालीमार में हैं जिसे ग्रोवर के दुबई स्थित होटल एटलांटिस में जमीन के 150 फीट नीचे रखा गया है। इन हीरों को चुराना आसान नहीं है क्योंकि शालीमार को खोलना टेढ़ी खीर है। नंबर मिलाने के 11 करोड़ ऑप्शंस हैं जिन्हें मिलाने में सैकड़ों वर्ष लग सकते हैं। शालीमार जहां रखी है उसका दरवाजा सिर्फ चरण के बेटे विकी (अभिषेक बच्चन) के थंब प्रिंट से खुल सकता है।
चार्ली एक टीम बनाता है, जिसमें चाल में रहने वाला नंदू (एक और अभिषेक बच्चन), बार डांसर मोहिनी (दीपिका पादुकोण), तिजोरी तोड़ने में माहिर टैमी (बोमन ईरानी), हैकर रोहन(विवान शाह) और विस्फोट विशेषज्ञ जग (सोनू सूद) शामिल हैं। ये टीम डांस प्रतियोगिता में हिस्सा लेती है जिसकी आड़ में उनका मकसद हीरे चुराना है।
फराह खान की कहानी बेहद साधारण और कमजोर है, जिसमें ढेर सारे 'अगर-मगर' हैं, लेकिन निर्देशक फराह को विश्वास है कि वे कहानी को बिग स्क्रीन पर इतने मनोरंजक तरीके से पेश करेंगी कि दर्शक इन सारे 'अगर-मगर' को भूल जाएंगे। होता भी ऐसा ही है, लेकिन कई बार फिल्म आपकी तर्क करने की शक्ति को इतनी जोरदार चोट पहुंचाती है कि आप हिल जाते हैं कि ये सब कैसे हो रहा है। तीन सौ करोड़ रुपये के हीरे चुराने को जिस तरह से चुटकियों में अंजाम दिया गया है वो अविश्वसनीय है।
चरण ग्रोवर हीरों को किस तरह से 'सुरक्षा' में रखा गया है यह बात प्रेस कांफ्रेंस में बताता है जिसका सीधा प्रसारण किया जाता है। यानी दुनिया भर के चोरों को वह एक तरह से आमंत्रित करता है कि आओ और चोरी करो।
क्लाइमेक्स में दिखाया गया है कि चार्ली की टीम को एक पासवर्ड की जरूरत पड़ती है जिसके लिए कोई भी प्लानिंग टीम ने बना नहीं रखी थी। इस सिस्टम को चार्ली के पिता ने आठ वर्ष पहले बनाया था। चार्ली को पता चलता है कि पासवर्ड सात वर्ड का है और वह एक मिनट में क्रेक कर लेता है (ये बात और है कि समझदार दर्शक चार्ली के पहले क्रेक कर लेते हैं)। आश्चर्य की बात तो यह है कि सिस्टम को बनाने वाला चोरी के कारण जेल में है, बावजूद इसके वर्षों से पासवर्ड को बदला नहीं गया है।
केवल 'चोरी' वाला प्रकरण ही नहीं बल्कि डांसिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाला ट्रेक भी तर्कहीन है। मोहिनी को छोड़ सभी नॉन डांसर्स है, लेकिन भारत के बेस्ट डांसर्स चुने जाते हैं। ये चुनाव किस तरह होता है, इसका जवाब फिल्म में दिया गया है, जो गले नहीं उतरता है। इसके बाद दुबई जाकर विश्वस्तरीय डांसर्स के साथ वर्ल्ड डांस चैम्पियनशिप में चार्ली की टीम का मुकाबला करने वाली बात भी हास्यास्पद लगता है।
डबल रोल वाला ट्रेक भी है। विकी और नंदू की शक्ल मिलती-जुलती है, इसलिए नंदू को उसके साथी होटल में छिपाकर रखते हैं, लेकिन कई बार वह बड़े आराम से घूमता और नाचता है। जग को एक कान से बहरा दिखाया गया है, लेकिन काम के वक्त वह हर बार सही सुनता है।
फिल्म में ऐसे कई अतार्किक बातें हैं जो उन दर्शकों को अखरती है जो सिनेमाघर में दिमाग साथ लाए हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि जो दर्शक दिमाग घर में रख कर आए हैं और सिर्फ खालिस मनोरंजन चाहते हैं उन्हें भरपूर मनोरंजन मिलता है।
फराह खान के लेखन के बजाय उनका निर्देशन अच्छा है। ये बात सही है कि उन्होंने सिनेमा के नाम पर भरपूर छूट ली है, लेकिन ड्रामे को मनोरंजन से भरपूर रखा है, इसके कारण फिल्म में रूचि बनी रहती है। फिल्म की शुरुआत में उन्होंने हर कलाकार की एंट्री धांसू तरीके से रखी है।
लगभग एक घंटे तक सारे कलाकारों से दर्शकों का परिचय चलता रहता है। हर किरदार अपनी अजीबो-गरीब कहानी और खासियत लिए हुए है। सभी का इंट्रो ऐसा है कि हंसी आए। जैसे, जग की मां को कोई बुरा कह दे तो उसकी कान से धुआं निकलने लगता है और वह बुरा बोलने वाले की जमकर धुनाई करता है। चलिए इस बात पर हंस लेते हैं, लेकिन नंदू के परिचय में हंसी के बजाय घिन आती है क्योंकि नंदू कभी भी उल्टियां करने लगता है और उसे उल्टियां करते हुए फिल्म में कई बार दिखाया गया है।
फिल्म का पहला भाग मजेदार है और हास्य से भरपूर है। चार्ली और मोहिनी जब भी नजदीक आते हैं तो कहीं ना कहीं आग लगने वाले दृश्य मजेदार हैं। इसी तरह से नंदू और टैमी की नोक-झोक भी अच्छी लगती है। फिल्म में कई जगह शाहरुख के मशहूर संवादों के जरिये हास्य पैदा किया गया है। क्लाइमैक्स में दीपिका का शाहरुख स्टाइल ('चक दे इंडिया' से प्रेरित) में भाषण देना भी अच्छा लगता है।
जिस तरह से 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में कहानी कमजोर किंतु पंच जोरदार रहते हैं, वही बात 'हैप्पी न्यू ईयर' पर भी सटीक बैठती है। फिल्म में कई ऐसे मजेदार पंच हैं, कई ऐसे दृश्य हैं जो हंसाते हैं, लेकिन समग्र कहानी की बात की जाए तो वे उनमें फिट नहीं बैठते है। फराह जानती हैं कि आम दर्शकों को यदि मनोरंजन का डोज लगातार मिलता रहे तो वे कहानी की खामियों को स्वीकार लेते हैं और इसीलिए उन्होंने टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल में अपना प्रस्तुतिकरण रखा है। आम दर्शक को भले ही ये बात समझ में नहीं आए कि चोरी कैसे हो रही है, बावजूद उसका मनोरंजन होता है। फिल्म के दूसरे हिस्से में कई दृश्य गैर-जरूरी और लंबे लगते हैं। कहीं-कहीं फिल्म फराह के हाथ से छूटती दिखाई देती है।
फिल्म में डांस रखने की गुंजाइश बहुत थी, लेकिन अच्छी बात यह रही कि इसे कम रखा गया वरना फिल्म की लंबाई और बढ़ जाती। साथ ही फिल्म में हिट गाने भी नहीं हैं और यह भी इसका एक कारण है।
तकनीकी रूप से फिल्म सशक्त है। सेट भव्य है। लोकेशन्स बेहतरीन है। फोटोग्राफी आंखों को सुकून देती है। संपादन जरूर ढीला है और यह बात तय है कि निर्देशक फराह खान ने कुछ दृश्य काटने नहीं दिए होंगे।
शाहरुख खान ने अपनी मौजूदगी के बावजूद सभी कलाकारों को उनके रोल के मुताबिक फुटेज दिए हैं। इस फिल्म में वे अपनी सुपरस्टार की इमेज से मोहित नजर आए और उन्हें वैसे ही पेश किया गया। उन्होंने अपने कैरेक्टर को अंडरप्ले किया है और उनका अभिनय अच्छा है। खासतौर पर उनके फैंस उन्हें जरूर पसंद करेंगे।
दीपिका पादुकोण को कम फुटेज मिले हैं और उनकी एंट्री लगभग एक घंटे बाद फिल्म में होती है। आमतौर पर फराह खान अपनी हीरोइन को खूबसूरत तरीके से पेश करने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन दीपिका इस फिल्म में अपने खराब मेकअप के कारण सुंदर नहीं लगती हैं।
सोनू सूद वाला रोल ऐसा लगता है कि सनी देओल की इमेज को ध्यान में रखकर लिखा गया है, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है सोनू का रोल महत्वहीन हो जाता है। बोमन ईरानी फॉर्म में नजर आए। अभिषेक बच्चन ने टीम का साथ अच्छे से निभाया है। जैकी श्रॉफ का रोल ठीक से लिखा नहीं गया है और विलेन वाली बात रोल में नजर नहीं आती है।
'हैप्पी न्यू ईयर' का मजा तभी लिया जा सकता है जब ज्यादा तर्क-वितर्क न किया जाए और सिर्फ मनोरंजन को ध्यान में रख फिल्म देखी जाए। यह कथा विहीन मनोरंजन है।