आडवाणी पर फिर उखड़े मनमोहन

शनिवार, 11 अप्रैल 2009 (11:43 IST)
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कमजोर प्रधानमंत्री होने के भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के आरोप का शुक्रवार को एक बार फिर तीखा प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा कि 'जोर से बोलने' से कोई मजबूत प्रधानमंत्री नहीं बन जाता। यह तो जनता तय करेगी कि वह कमजोर प्रधानमंत्री हैं या मजबूत।

इंडियन विमेन प्रेस कोर के साथ यहाँ एक कार्यक्रम में सवालों के जवाब में डॉ. सिंह ने स्वीकार किया कि वे भाषण देने में श्री आडवाणी की बराबरी नहीं कर सकते हैं। लेकिन जो व्यक्ति लोगों को बाँटने का प्रयास करता है, वह आर्थिक संकट, आतंकवाद और गरीबी से निपटने के अयोग्य है।

हमने कमांडो भेजे : प्रधानमंत्री ने कंधार विमान अपहरण घटना की तुलना मुंबई के आतंकवादी हमलों से करते हुए कहा- आतंकवादियों से निपटने के लिए हमने अपने विदेश मंत्री को नहीं बल्कि प्रशिक्षित कमांडो भेजे। उन कमांडो ने नौ आतंकवादियों को ढेर कर दिया और एक को जिंदा पकड़ लिया। और तो और गृह मंत्रालय यह सिद्ध करने में सफल रहा कि भारत के खिलाफ आतंकी साजिश पाकिस्तानी भूमि पर रची गई थी।

मजबूत होते तो : डॉ. सिंह ने कहा कि अगर आडवाणी मजबूत होते तो अपनी साख की बाजी लगाते हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उस हिंसा को रोक देते।

प्रधानमंत्री ने कहा - मैं अभद्र भाषा बोलते का आदी नहीं हूँ। मेरे माता-पिता, धर्म और भारतीय संस्कृति ने जो मूल्य मुझे दिए हैं मैं उनके अनुसार ही बात करता हूँ। मेरा मानना है कि तेज जवाब बोलने से कड़वाहट बढ़ती है और समस्याएँ बढ़ती हैं।

बौखलाहट : भाजपा ने अपने नेता लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह द्वारा की गई आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री की बौखलाहट की निशानी है।

भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि मनमोहनसिंह भाग्यशाली राजनेता हैं। लेकिन वे न तो चुनाव अभियान का नेतृत्व कर सकते हैं और न ही उन्होंने कोई चुनाव जीता है और न ही इसकी संभावना है।

आर्थिक चिंतन पर आक्षेप करते हुए उन्होंने कहा कि आडवाणी का अर्थशास्त्र परिवार और व्यक्ति को अधिक पैसा देने की बात करता है, जबकि मनमोहनसिंह अधिक कर लगाने में विश्वास करते हैं।

आटे-दाल का भाव नहीं पता मनमोहन को : राशन दुकानों पर दाल और आटा कितने रुपए किलो मिल रहा है और महिलाएँ रसोई के बढ़ते खर्चों से किस तरह जूझ रही हैं, इससे प्रधानमंत्री अनजान हैं। उन्हें यह गलतफहमी भी है कि बीच में दालों के भाव कुछ कम भी हुए हैं।

डॉ. सिंह नहीं जानते कि बाजार में दाल, आटा, चावल और शकर की कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने जब यह कहा कि बीच में तो दाल-शकर की कीमतें कम हुई हैं तो इस पर महिला पत्रकारों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। ताज पैलेस होटल के दरबार हॉल में महिला पत्रकारों के बीच प्रधानमंत्री ने दरबार तो जरूर लगाया, लेकिन शायद चुनाव आचार संहिता के डर से चाय तक के लिए भी नहीं पूछा गया।-एजेंसी

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