भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधने और पार्टी को कटी पतंग बताने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण शौरी ने भाजपा नेताओं पर जसवंतसिंह की पुस्तक नहीं पढ़ने का इल्जाम लगाते हुए कहा कि काश कोई जसवंतसिंह की पुस्तक भी पढ़ लेता।
अमेरिकन सेंटर में लेखक गुरचरण दास की पुस्तक ‘द डिफिकल्टी ऑफ बिइंग गुड’ पर परिचर्चा के दौरान शौरी ने हलके-फुलके अंदाज में कहा कि मैंने इस पुस्तक को पूरा पढ़ा है। जैसे मैंने इस पुस्तक को पढ़ा है, वैसे ही कोई जसवंतसिंह की पुस्तक को भी पढ़ लेता। हालाँकि मेरे पुस्तक पढ़ने की रफ्तार उन लोगों से थोड़ी कम रही जिन्होंने जसवंतसिंह की पुस्तक पढ़ी।
शौरी ने कहा कि जीवन में व्यक्ति कई कार्य करता है और उसके कई परिणाम होते है। सभी घटनाओं से लोगों को कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी के जीवन में भगवान राम का ज्याद प्रभाव था, लेकिन गीता की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा था कि राम और कृष्ण की अलग ऐतिहासिक पृष्ठभूमि हो सकती है लेकिन कर्म के प्रति दोनों का ध्येय समान था।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार लोकमान्य तिलक ने गीता की व्याख्या में कर्म के लिए किसी को मारने को उचित ठहराया था।
शौरी ने अंत में चुटकी लेते हुए कहा कि हक अच्छा...इसके लिए कोई और मरे तो और भी अच्छा। शौरी ने पार्टी से जसवंतसिंह को निकाले जाने को अनुचित बताते हुए सोमवार को कहा था कि जिन्ना पर जसवंतसिंह की पुस्तक को पार्टी के किसी नेता के बिना पढ़े हुए ही ऐसा किया गया। यह गढ़ा हुआ कार्य था।