गन्ना किसानों के आक्रोश को ध्यान में रखते हुए केन्द्र में सत्तारूढ़ संप्रग के घटक दलों की बैठक में गन्ना अध्यादेश से धारा तीन बी को हटाने का फैसला किया गया।
संसद भवन परिसर में लोकसभा में सदन के नेता एवं वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में यह फैसला किया गया कि यह प्रावधान किया जाए कि यदि राज्य सरकार गन्ने के लिए अपनी ओर से एसएपी तय करती है तो उसका भुगतान चीनी मिलो को करना होगा।
बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री पवनकुमार ने बताया कि बैठक में गन्ना अध्यादेश के कारण पैदा हुई स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया। इसमें धारा तीन बी को हटाने पर सहमति बनी।
इस धारा में प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य के अतिरिक्त अपनी ओर से एसएपी तय करती है तो उसका भुगतान राज्य सरकार को ही करना होगा।
संप्रग ने कहा कि उसके लिए किसानों का हित सर्वोपरि है और इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। बैठक में केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार, रेलमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल थी
सर्वदलीय बैठक से पूर्व केन्द्र में सत्तारढ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के घटक दलों की बैठक हुई थी, जिसमें गन्ना अध्यादेश में बदलाव कर राज्य परामर्शी मूल्य व्यवस्था बहाल करने पर सहमति व्यक्त की गई।
बैठक के बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष एवं रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर इस अध्यादेश के आने से गन्ना किसान दुखी हुए हैं तो हमारी सरकार उसमें बदलाव करने को तैयार है।
लोकसभा में भाजपा संसदीय दल की उपनेता सुषमा स्वराज ने गन्ना अध्यादेश में बदलाव करने पर सरकार की सहमति को किसानों की जीत बताया।
उन्होंने कहा कि हमारी दो प्रमुख माँग थी एक तो गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य व्यवस्था बहाल करना तथा राज्य परामर्शी मूल्य और उचित एवं लाभकारी मूल्य के बीच अंतर को राज्य सरकारों की जगह चीनी मिलें दें। उन्होंने कहा कि सरकार ने दोनों माँगें मान ली हैं।