रोशनी बाँट ली उभरे हुए मीनारों ने

रोशनी बाँट ली उभरे हुए मीनारों ने
पस्त ज़र्रों के मुक़द्दर में वही रात रही ----निशात शाहिदवी

शे'र में सारी बातें इशारोमेकही गई हैं। सरकारी योजनाओं के जितने लाभ होते हैं वो सब उभरे हुए मीनार (समाज के असरदार और धनवान लोग) आपस में बाँट लेते हैं। और जो लोग ग़रीब हैं, ज़रूरत मन्द हैं (पस्त ज़र्रे) उन्हें उनका लाभ नहीं मिलता। उनके नसीब में वही काली रात (वही मुसीबतें, वही कष्ट) क़ायम रहती हैं।

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