अंक ज्योतिष के अनुसार यह नया वर्ष राहु के स्वामित्व वाला वर्ष है जबकि ज्योतिषशास्त्र के पंचांगानुसार यह यह वर्ष 'प्रमादी' नामक संवत्सर वाला रहेगा। नववर्ष कर्क लग्न में हो रहा है। संवत् की राशि कन्या है। इनके स्वामी बुध ग्रह हैं। वर्ष के राजा पद पर श्रीबुध की स्थिति एवं मंत्री पद पर श्रीचंद्र विराजमान हैं। ऐसे में आपको 5 महत्वपूर्ण कार्य करना चाहिए जिससे आपका संपूर्ण वर्ष सफल रहेगा।
1.नीम का पेड़ लगाएं : आप अपने घर की दक्षिण दिशा में नीम का एक पेड़ लगाएं और उसकी देखरेख करें जब तक की वह अच्छे से चेत नहीं जाता या बड़ा नहीं हो जाता है। यह पेड़ साक्षात मंगल है। इस पेड़ की सेवा करने से आपके जीवन में कभी भी अमंगल नहीं होगा।
2.व्यसन को त्याग दें : शराब पीने से शनि, सिगरेट पीने से राहु और तंबाकू खाने से आपका बुध बुरा फल देने लगेगा। अत: बेहतर होगा कि आप इनका सेवन करना त्याग दें। बुध ग्रह नौकरी और व्यापार का कारक है और राहु ग्रह जीवन में अचानक आ जाने वाली समस्याओं का कारक है। शनि आपके बुरे कर्मों की सजा देने वाला है।
3.गरीबों को भोजन कराएं : अपंग, अंधे, लाचार और गरीबों को भोजन कराएं। मंदिर के बाहर बैठे भिखारी, कन्याएं आदि सभी को आप अपनी इच्छानुसार भोजन कराएंगे तो पुण्य तो मिलेगा ही साथ ही माता दुर्गा और शनिदेव प्रसन्न होंगे।
4. झूठ न बोलें : लाल किताब के अनुसार कुंडली का दूसरा खाना बोलने और तीसरा खाना बोलने की कला से संबंध रखता है। पहला आपके पास क्या है और दूसरा आप उससे क्या कर सकते हैं? इससे संबंध रखता है। यदि आप झूठ बोलते हैं तो दूसरे और तीसरे भाव अर्थात खाने में अपने आप ही गलत असर चला जाता है। कहते हैं कि पहला मनसा, दूसरा वाचा और तीसरा कर्मणा। कुंडली में दूसरा भाव आपके ससुराल, धन और परिवार का है और तीसरा भाव आपके कर्म और पराक्रम का भी है। अत: यदि आप झूठ बोलते हैं तो आपका पराक्रम भी जाता रहेगा। कार्यालय और व्यवसाय दोनों ही नष्ट हो जाएंगे। वाणी बुध है और बुध को अपने कारणों से खराब करने का मतलब है कि व्यापार को खराब करना। बुध ही लोगों से संचार करने के काम आता है और इसके खराब होने का मतलब है कि जो भी लोग आकर सांसारिक या सामाजिक रूप से जुड़े थे, वे सब झूठ के कारण अलग हो गए। झूठ बोलने वाला कुतर्की भी होता है।
5. कभी भी ब्याज का धंधा ना करें : लाल किताब के अनुसार ब्याज का धंधा करने से शनि का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है। यह जीवन के किसी भी मोड़ पर दंड देता है। कभी-कभी यह भयंकर परिणाम देने वाला होता है, तो कभी यह संचित कर्म का हिस्सा बन जाता है। हालांकि इसके पीछे एक तथ्य यह है कि ब्याज का धंधा करने वाले को बद्दुआ ज्यादा मिलती है। उसकी बुद्धि रुपयों को लेकर अलग ही तरह की निर्मित हो जाती है। वह अपने परिवार पर भी यदि किसी भी प्रकार का खर्च करना है तो अपने नुकसान के बारे में सोचता है।