पुराण के अनुसार रविवार को पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र में दान-जप का विशेष महत्व है। इस नक्षत्र में भूमि, भवन की खरीदी, व्यापार का शुभारंभ, कृषि कार्य का प्रारंभ अच्छा तथा शुभ माना गया है।
इस नक्षत्र को अत्यंत शुभ माना जाता है। रविवार या गुरूवार को यदि पुष्य नक्षत्र हो तो यह अमृत सिद्धि योग बनता है। रवि-गुरू पुष्य नक्षत्र में शुभ कार्य करने के लिए ग्रह बल, चंद्र बल, गुरू-शुक्र अस्त, मलमास इन सबका विचार करने की आवश्यकता नहीं है। इस शुभ योग में आप वाहन खरीदें, रत्न धारण करें, मंत्र-पूजा करें वह शुभ माना जाता है।
वर्ष 2010 में रवि पुष्य और गुरू पुष्य की तिथियाँ निम्नानुसार है :-
- रवि पुष्य योग- 8 अगस्त, 2010 को रात्रि 12.35 से 9 अगस्त सूर्योदय पूर्व तक। - 5 सितंबर को सुबह 10.51 से 6 सितंबर सूर्योदय तक। - 3 अक्टूबर को सूर्योदय से लेकर सायं 5.50 तक।
आगामी गुरू-पुष्य योग
- 26 नवंबर- सुबह 6.54 से 6.58 तक - 23 दिसंबर- दोपहर 1 बजकर 52 मिनट से 24 दिसंबर सूर्योदय पूर्व के समय तक रहेगा।