आपने अष्ट या चौंसठ योगिनियों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग तो इनके बारे में जानते भी होंगे। दरअसल ये सभी आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पर्वती की सखियां हैं। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:- 1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी।
* जैसा कि नाम से ही विदित है कि इनकी छवि मनोहारी है। यह देवी अत्यंत सुंदर, विचित्र वेशभूषा वाली और इनके शरीर से सुगंध निकलती रहती है।
* इनका मंत्र है:- 'ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा।'
* मान्यता है कि कि इनकी साधना अत्यंत ही गोपनीय होती है। विधिवत संपूर्ण माह साधना करने पर प्रसन्न होकर प्रतिदिन साधक को स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती हैं।
* इनकी साधना बड़ी ही कठिन होती है। साधना के दौरान कई तरह की सावधानी रखना होगी है। नदी स्नान करके चंदन का मंडल बनाकर मध्य में देवी का मंत्र लिखकर ध्यान मंत्र जपा जाता है।
चीनां शूकां पीन कूचा मनोज्ञानं श्याममं सदा काम दुघमन विचित्राम।।
इसके बाद साधक को मूल मंत्र से अगर धुप, दीप, गंध, मधु और ताम्बूल आदि से पूजा करना होती है। फिर मंत्र जाप प्रारंग करना होता है। मान्यता अनुसार एक माह तक रात्रि में रोज 21 माला जपना होती है। फिर अनुष्ठान आदि विधिपूर्वक सभी कार्य करने के बाद माता प्रसन्न होती है। परंतु इनकी साधना में सावधानी जरूर है।